अच्छे दिन अब आने वाले हैं
अच्छे दिन अब आने वाले हैं
हम मोदी जी को … मोदी जी को लाने वाले हैं -- अच्छे दिन अब आने वाले हैं। आजकल हिंदी पट्टी की हवा में घुला यह गीत-जुमला कुछ ज्यादा ही वायरल हो रहा है।
सत्ता
से दूर बैठे
दलों ने अब
नया ट्रेंड बना
लिया है -- अव्यवहारिक
वादों का सपना
बना कर जनता
को बेचने का,
जिसके लिए खुद
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी
अपनी चिंता जाता
चुके हैं लेकिन
दल हैं कि
बाज़ नहीं आते
और वर्तमान सरकार-व्यवस्था से हताश
निराश लोग भी
ऐसे उम्मीदों भरे
सपनों को अपनाने
में देर नहीं
लगाते। कुछ वक़्त
पहले केजरी गैंग
ने भी दिल्ली
की जनता को
ऐसे ही सपने
बेचे थे और
अब टीम मोदी
पूरे देश को
ऐसे ही सपने
बेच रही है।
जैसे
'अच्छे' दिनों की उम्मीद
टीवी विज्ञापनों में
दिखाई जाती है
उसे देख कर
तो अब यह
भय सताने लगा
है कि उम्मीदों
से भरे ब्रांड-मोदी के
सेल्समैन कहीं कंज्यूमर्स
को इस तरह
के सपने बेचने
न शुरू कर
दें …
1. आजकल
गर्मी बहुत बढ़
गयी है -- सूरज
परेशान कर रहा
है, मोदी जी
को पी. एम.
बनाइये -- सूरज के
ताप को एडजस्ट
कर दिया जायेगा
... और २२ डिग्री
पर स्थिर कर
दिया जायेगा।
2. यू.
पी., बिहार, उड़ीसा
जैसे पिछड़े राज्यों
में रात को
लाइट बहुत जाती
है, इसका समाधान
भी अब मोदी
जी के आने
के बाद ही
निकलेगा -- चाँद को
बीच आसमान में
रोक कर उसके
प्रकाश को ५०
वॉट की cfl
तक कर दिया
जायेगा।
3. क्या
कहा -- आपका बच्चा
दो दिन से
पोट्टी पर पोट्टी
किये जा रहा
है, बहन उसे
थोड़ा सब्र करने
को बोलो, मोदी
जी के प्रधानमंत्री
बनते ही हमेशा
के लिए उसकी
पोट्टी ही रुकवा
देंगे।
4. क्या
आप जम्मू से
कन्याकुमारी जाने में
लगने वाले समय
से परेशान हैं
तो मोदी जी
को पी. एम.
बनाइये। आपको पलक
झपकते ही जम्मू
से कन्याकुमारी पहुंचा
दिया जायेगा -- मोदी
जी की थ्री
डी इमेज की
तरह।
5. दाद
खाज खुजली से
परेशान -- १६ मई
तक धैर्य रखिये,
प्रधानमंत्री बनते ही
मोदी जी स्वयं
आपकी दाद खाज
खुजली का इलाज
करेंगे।
अव्यवहारिकता
की भी हद
होती है। यह
ठीक है कि
कांग्रेस के १०
साल के शासन
से आम जनता
ऊबी हुई है
और आप उसकी
नाराज़गी पर अपनी
सत्ता की इमारत
खड़ी करना चाहते
हैं लेकिन क्या
उसके लिए जनता
के इर्द गिर्द
ऐसी उम्मीदों- आकांक्षाओं
का जाल बुन
देंगे -- जिनका टूटना अवश्यम्भावी
हो। आम आदमी
पार्टी वालों ने भी
दिल्ली में ऐसा
भ्रमजाल फैलाया था लेकिन
उसका अंजाम क्या
हुआ ?
ठीक
है कि आप
कांग्रेस से बेहतर
सरकार चला सकते
हैं, कांग्रेस से
बेहतर शासन दे
सकते हैं और
शायद व्यवस्था में
भी कुछ उल्लेखनीय
सुधार कर सकते
हैं पर क्या
उसके लिए ऐसे
वादे भी करेंगे
कि दागी सांसदों
को संसद में
घुसने नहीं देंगे
-- यह जानते हुए
भी कि एन.
डी. ए. के
पैंतीस से चालीस
प्रतिशत उम्मीदवार दागी हैं।
उनके सांसद बनने
के बाद उन्हें
संसद में नहीं
घुसने देंगे तो
सरकार कहाँ से
बनाएंगे?
जनता
के विरोध को
हवा देना ठीक
है किन्तु अव्यवहारिक
वादों से उसकी
अपेक्षाओं-आकांक्षाओं को इतना
भी मत बढ़ाइए
मोदी जी कि
आपके प्रधानमंत्री बनने
के कुछ महीनों
के भीतर ही
लोग खुद को
ठगा सा महसूस
करने लगें। मात्र
छः करोड़ वाले
गुजरात और एक
सौ बीस करोड़
वाले विशाल भारत
में बहुत अंतर
है। यहाँ ईमानदारी
और अच्छी नीयत
से अगर सुधार
की कोशिश की
भी जाये तो
यह लम्बा प्रोसेस
है जिसमे पांच
से लेकर दस-पंद्रह साल भी
लग सकते हैं।
यह कोई जादूगर
के 'गिली-गिली
छू' वाला खेल
नहीं की सोलह
मई को नई
सरकार बनते ही
तालाब से पानी
भर्ती महिलाओं, चाय
पीते टैक्सी ड्राइवरों
के अच्छे दिन
आ जायेंगे।
Post a Comment