सुलगते सवाल


सुलगते सवाल


to,
All muhafize islaam
डियर मोमिन,

अस्सलामलैकुम, बाद सलाम के मालूम हो कि मैं यहाँ पर खैरियत से हूँ और उम्मीद करता हूँ कि आप भी खैरियत से होंगे... दीगर अहवाल यह है कि आजकल डेढ़ दो साल से कई मुस्लिम महिलाएं फेसबुक पर दोस्त बनती हैं, चैट में मैसेज करती हैं और बात शुरू होने पर वह अअपनी मेल आई. डी. पर बुलाती हैं जहाँ यह दोस्ती का सिलसिला आगे बढ़ता है और फिर वे इस्लाम के हवाले से इस तरह सामने वाले का ब्रेनवाश करती हैं कि बंदा मन में जेहाद की लौ लगा ले और आप जैसों की तंजीम से जुड़ कर जेहाद के लिए निकल खड़ा हो... आप की तरह, पर मेरे सामने एक मसला दरपेश है, उम्मीद करता हूं कि आप इसका हल जरूर बताएंगे...
मुस्लिम होने के नाते मेरे हर फेल की शुरुआत बिस्मिल्लाह से होती है... यानी बिस्मिल्लाह अररहमाने रहीम, जिसका मतलब होता है कि शुरू करता हूं मैं उस अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान है और बेहद रहम वाला है। इस बिस्मिल्लाह से काफी फज़ीलतें जुड़ी हैं, कुरान की 114 सूरतों में से 113 बिस्मिल्लाह से शुरू होती हैं, बस एक सूरे तौबा ही है जो बिना बिस्मिल्लाह के शुरू होती है। इसका जिक्र कई जगह मिलता है... खाने से जुड़ा एक वाकया है कि एक मर्तबा आप सल्लल्लाहु अलैवसल्लम के साथ खाने पर एक ऐराबी (बेसलीका, देहाती) शरीक हुआ। और दस्तरखान पर मौजूद सहाबियों और आप के होते उसने खाना शुरू कर दिया और कुछ ही लुकमों में उसने खाना खत्म कर दिया... सहाबियों ने परेशान हो कर आप को देखा तो आपने फरमाया कि इस शख्स ने अगर बिस्मिल्लाह कर ली होती तो एसा नहीं होता... जब कोई बिना बिस्मिल्लाह किये खाना शुरू करता है तो उसके खाने में शैतान भी शरीक हो जाता है।

बहरहाल यह बस एक किस्सा था मगर असल मुद्दा यह है कि बिस्मिल्लाह हर मोमिन के लिए अपने हर अमल से पहले जरूरी है... इसी के मद्देनजर अब मैं जब पूरी दुनिया में आपके बहादुरी भरे और कौम का झंडा बुलंद करने वाले कारनामे देखता हूँ तो मेरे जहन में कुछ सवाल उठते हैं, जिसका कोई माकूल जवाब आप ही दे सकते हैं... सवालों पर गौर फरमाइये--

1. जब आप लोगों ने कई पत्रकारों के सर कलम किये थे तो कलम करते वक्त क्या बिस्मिल्लाह किया था?
2. जब कुछ विदेशी नागरिकों/सैनिकों को पिंजरों में बंद कर के, उन पर तेल छिड़क उन्हें आग के हवाले किया था तो आग लगाते वक्त क्या आप लोगों ने बिस्मिल्लाह की थी?
3. जब कुछ पत्रकारों/विरोधी लड़ाकों के ऊपर आपने बुलडोजर चढ़ाये थे तो उन्हें कुचलते वक्त क्या आप लोगों ने बिस्मिल्लाह की थी?
4. जब आप झुंड के झुंड किसी यजीदी/कुर्द/शिया महिला के साथ बलात्कार करते हैं तो क्या एसा करने से पहले बिस्मिल्लाह पढ़ते हैं?
5. इन महिलाओं के इन्कार करने पर जब इनके ऊपर खौलता तेल/पानी डालते हैं तो डालते वक्त बिस्मिल्लाह पढ़ते हैं या वहां भी नहीं?
6. ईराक, सीरिया, यमन, अरब, पाकिस्तान की शिया मस्जिदों में नमाजियों को बमों/फिदायी हमलों में उड़ाते वक्त क्या बिस्मिल्लाह करते हैं?
7. इन देशों और कई दूसरे देशों में बाजारों, दूतावासों, इमारतों में जब फिदायी हमले करके लोगों की जान लेते हैं तो उस वक्त क्या बिस्मिल्लाह करते हैं?
8. नाईजीरिया में और आसपास के इलाकों में आबादियों को आग के हवाले करते वक्त तो गालिबन बिस्मिल्लाह की ही होगी?
9. उस वक्त भी क्या आप लोगों ने बिस्मिल्लाह की थी जब पेशावर के एक स्कूल में मासूम बच्चों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं?
10. वर्ल्ड ट्रेड टावर और मुंबई हमले के वक्त भी क्या बिस्मिल्लाह की थी जिसमें सैकडों लोग मारे गए?
किसी आलिम ने बताया कि बिस्मिल्लाह सिर्फ जायज कामों में किया जा सकता है, इन बर्बर, वहशियाना और इंसानियत से गिरी हरकतों के लिए बिस्मिल्लाह जायज नहीं। इसका मतलब आप लोगों के अमल इस्लामिक ही नहीं तो आपके मिशन को जेहाद कैसे कहा जा सकता है? जब आपके सारे फेल ही गैर इस्लामिक हैं तो भला आप मुसलमान किस बात के?
आप में या आपके उन समर्थकों में जो आपके बहकावे में चुके हैं, अगर जवाब देने की क्षमता है तो जवाब जरूर दें।
एक मोमिन

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