मृत्यु के बाद मानव शरीर में क्या परिवर्तन होता है?

 

इंसान की मौत के बाद क्या होता है?

एक प्रश्न जो मानव जाति को चकित करता है, वह है “मृत्यु के बाद का अनुभव” मरते वक़्त इंसान का दिल धड़कना बंद कर देता है. इंसान तेजी से सांसें लेना शुरू कर देता है. खून का दौड़ना बंद हो जाता है जिससे कान ठंडे हो जाते हैं. खून में एसिडिटी बढ़ जाती है. गले में कफ़ जमा हो जाता है जिससे सांस लेते हुए खड़-खड़ जैसी आवाज़ आने लगती है...

इस आवाज़ को मौत की आवाज़ भी कहा जाता है. फिर फेफड़े और दिमाग भी काम करना बंद कर देते हैं. लेकिन एक वैज्ञानिक विचार ये भी है कि अगर दिमाग में मौजूद सेल (स्टेम सेल) जिंदा हैं तो इंसान को फिर से जिंदा किया जा सकता है.

मृत्यु की घोषणा तब की जाती है जब दिल धड़कना बंद कर देता है.जैसा कि दिल धड़कना बंद कर देता है, यह मस्तिष्क को रक्त पंप करना बंद कर देता है और धीरे-धीरे मस्तिष्क बंद होने लगता है, मस्तिष्क के धीरे-धीरे बंद होने की इस प्रक्रिया में घंटों लग सकते हैं और व्यक्ति इस दौरान मृत हो सकता है .दिल के रुक जाने के बाद दिमाग कुछ समय के लिए काम करता है।

माना जाता है मौत के बाद हमारा शरीर निर्जीव हो जाता है, लेकिन हकीकत में ऐसा है नहीं... शरीर के कई अंग मृत्यु के बाद भी काम करते रहते हैं. कुछ धीरे-धीरे काम करना बंद करते हैं और कुछ तो 24 घंटे से कहीं ज्यादा समय तक जिंदा रहते हैं.

विज्ञान मानता है कि चेतनायुक्त जीवन के खत्म होने के बाद भी शरीर के अवयव नहीं मरते, उनका उपयोग किया जा सकता है. इसलिए मौत के बाद शरीर के कई अंगों को दान किया जा सकता है और जरूरतमंदों के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जा सकता है.

मौत से ठीक पहले अंग एक-एक कर काम करना बंद कर देते हैं. सबसे पहले श्वास प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है. उसके बंद होते ही दिल धड़कना बंद कर देता है. अगले पांच मिनट में शरीर के अंदर ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो जाती है और कोशिकाएं मरने लगती हैं. इस स्थिति को 'प्वाइंट ऑफ नो रिटर्न' कहते हैं. चिकित्सा विज्ञान इस 'प्वाइंट ऑफ रिटर्न' को एक रहस्य ही मानती है.

इस स्थिति में आने के बाद शरीर का तापमान हर घंटे 1.5 डिग्री कम होता जाता है.मानें या ना मानें.. मरने के बाद भी त्वचा 24 घंटे से कहीं ज्यादा समय तक जिंदा रहती है. शरीर की कुछ कोशिकाएं इसे जिंदा रखने का काम करती हैं. मृत्यु के बाद भी वो हरकत में रहती हैं और खुद की मरम्मत का काम करती रहती हैं. खासकर ये काम स्टेम कोशिकाएं करती हैं. ये स्थिति कई दिनों तक भी चल सकती है. ये केवल मानवीय शरीर में ही नहीं, बल्कि जानवरों के शरीर में होता है।

अगर आपने अंगों को दान किया है, तो डॉक्टरों की कोशिश रहती है कि मौत के आधे घंटे बाद के अंदर शरीर से किडनी, लीवर और हृदय निकाल लिया जाए. वैसे ये सभी अंग छह घंटे तक जिंदा रहते हैं. माना जाता है कि इन अंगों को जिस भी शरीर में ट्रांसप्लांट करना हो, वो छह घंटे के भीतर कर दिया जाना चाहिए.

अगर आप ये सोचते हैं कि डेड बॉडी एकदम निर्जीव हो जाती है, उसमें कोई हरकत नहीं होती तो ये शायद सही नहीं होगा. कुछ रिपोर्ट्स का कहना है कि ब्रेन के काम करना बंद करने के बाद भी नर्वस सिस्टम अपना काम बंद करने में कुछ समय ले ही लेता है.

इसलिए कई बार मांसपेशियां फड़कती हुई या हरकत करती लगेंगी. मृत्यु के बाद मांसपेशियां उसी तरह काम करती हैं, जैसे व्यक्ति के जिंदा पर करती हैं. हां, जब खून का बहाव रुक जाता है और सांस प्रणाली ठप पड़ जाती है, तब मांसपेशियां जकड़ जाती हैं.मरने के बाद बाल और नाखून लंबे समय तक जिंदा रहते हैं.

बेशक ये बात अटपटी लगे, लेकिन अक्सर पार्थिव शरीर से मूत्र बाहर आता रहता है. ब्लाडर खुद को खाली करता है. यही वजह है कुछ पार्थिव शरीर थोड़े वक्त बाद गीले हो जाते हैं.हमारी जींस मृत्यु के बाद भी हरकत में रहती हैं. बल्कि ये भी देखा गया कि डीएनए ज्यादा एक्टिव हो जाता हैं और ज्यादा प्रोटींस बनाने लगता है.

मृत्यु के तुरंत बाद शरीर में मौजूद फ्रेंडली बैक्टीरिया अपना काम करते रहते हैं. ये खाने के पाचन का काम करते रहते हैं. एमिनो एसिड के कारण शरीर से फाउल स्मेलिंग भी आ सकती है. निधन के बाद नाक और मुंह को इसलिए रुई से कवर कर दिया जाता है.जब आपका हृदय धड़कना बंद कर देता है, तो इसके कुछ मिनट बाद तक ब्रेन सक्रिय रह सकता है.

इसलिए कभी कभी वो लोग जो फिर से जिंदा हो जाते हैं तो ये बताने की स्थिति में रहते हैं कि उनके साथ क्या हुआ या उन्होंने क्या महसूस किया.

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