कांसेप्ट ऑफ़ गॉड एंड प्रोफेट


क्या है प्रोफेट या खुदा का कांसेप्ट?

डर ,ख़ास तौर से मौत का डर हर धर्म का जननी है,जब आदि मानव के आस पास कोई मरता था ,वह दूर ले जा कर मिट्टी में गाड़ देते थे लेकिन वह इंसान उनके सपने में अा जाता था ,कभी कभी वह सामने खड़ा दिख भी जाता था और यूं शुरू हुआ आत्मा का कॉन्सेप्ट !!वह आत्मा को खुश रखने के लिए उसकी पूजा करने लगे,कुछ रीजंस में यही मरे हुए पूर्वज आइडियल हो कर ख़ुदा बन गए और फिर धीरे धीरे यह बहुत से ख़ुदा सिमटते चले गए और आया एक ख़ुदा का कॉन्सेप्ट !!!वोह भी पिता समान ख़ुदा का!!!

दुनिया के अलग अलग हिस्सों में वहां के कल्चर ,मौसम के हिसाब से इंसानी ज़हन ने अलग तरह से धर्म की उत्पत्ति की ,सब के रास्ते अलग रहे,जिस में कभी सूरज चांद सितारे पूजे जाते रहे ,कहीं जानवर ,कहीं इंसान और जानवर के मिली जुली शक्ल,!!आज के ईरान ,इराक़ ,इस्राएल ,सऊदी अरब में धीरे धीरे इंसानी ज़हन बढ़ रहा था एक ख़ुदा के होने की तरफ !

जीसस से हज़ार साल पहले ही कुछ ज़हन ऐसा सोचने लगे थे जैसे मिस्र में अखलेटॉन्न!

जीसस से तकरीबन पांच सौ साल पहले जोरोस्टर ने ईरान में कहा के एक ख़ुदा "अहुर मजदा' है
कुछ पुरोहितों ने यह दावा करना शुरू कर दिया के उनको उस आसमानी ख़ुदा ने खुआब में कुछ करने या ना करने को कहा है , धीरे धीरे इन में जो भी ज़्यादा ताकत वर हुआ लोग उसकी बात मानने लगे और यूं शुरू हुआ प्रॉफिट या नबी का कॉन्सेप्ट!!

प्रॉफिट शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है जिस का मतलब होता है भविष्य वाड़ी करने वाला, हेब्रू जो इस्राएल की ज़बान थी वहां कहलाए "नवी" और अरबी में बन गए "नबी"!
यह नबी जो खुदा और इंसान के बीच में लिंक थे ,खुदा की बातों को इंसान तक पहुंचाते थे , शुरू में ख़ुदा उन से डायरेक्ट बोलता था जैसे मूसा से ,लेकिन मुहम्मद साहेब तक आते आते उन के बीच एक फरिश्ता अा चुका था जो खुदा से सुनता था और मुहम्मद साहेब को बताता था!! ख़ुद मुहम्मद साहेब के दौर में कई लोग थे जिन्होंने नबी होने का दावा किया था ,एक औरत ने भी किया था!!

यह नबी दुनिया के एक छोटे से हिस्से में ही आए, फिलिस्तीन,अरब का हेजाज़,ईरान ,बस बाक़ी दुनिया का पता नहीं वहां आए या नहीं !!

यहूदियों के एक लाख बीस हज़ार नबी आए, इस्लाम में एक लाख चौबीस हज़ार!!

मज़ेदार बात यह के इतने नबी आने पर भी कोई औरत नबी ना हो सकी!!

काश औरतें समझ सकें कुछ !!!

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