फिल्म समीक्षा: द ट्रूमन शो
यह मूवी एक टीवी शो के मुख्य किरदार ट्रूमैन पर हैं, जैसे कि जीवन रूपी नाटक के मुख्य किरदार हम सभी हैं । 🤗
"हम सभी एक्टर के नकली जज्बात देखकर तंग आ चुके है, मूवी के स्पेशल इफेक्ट्स देखकर भी बोर हो चुके हैं । लेकिन ट्रूमैन के बारे में कुछ भी नकली नही । उसमे जो हो रहा है वो सब असली हैं ।" इसी डायलॉग के साथ मूवी शुरू होती हैं ।
मूवी में ट्रूमैन को एक इंश्योरेंस एजेंट के रूप में दिखाया गया हैं । इस शो में शामिल सभी लोग सिर्फ शो के अभिनेता होते है, जिनका वास्तविकता से कोई संबंध नही होता । वो सिर्फ उस शो का हिस्सा होते हैं, जो कि ट्रूमैन की वास्तविक जिंदगी पर आधारित होता हैं।।
अक्सर ट्रूमैन समुन्द्र के किनारे बैठकर अपने पिता को याद किया करता है । उसके पिता जो कि इसी समुन्द्र में कही खो गए थे । इस वजह से ट्रूमैन को पानी से बहुत डर लगता हैं ।
ट्रूमैन दुनिया घूमना चाहता है, लेकिन उसकी पत्नी उसे जिंदगी की जिम्मेदारीयो में उलझा कर रखती हैं ।
मूवी के एक सीन में उसके दिवगंत पिता उसे दिखते हैं, लेकिन हम देखते है कि उस सीन में बाकी के सभी किरदार ट्रूमैन को उनसे मिलने से रोकते है और उसके पिता को वहाँ से गायब करवा देते हैं ।
इसी शो में ट्रूमैन, लॉरेन नाम की लड़की से आकर्षित होता है । दोनो एक दूसरे को पसंद करते हैं, लॉरेन को पता है कि वो महज़ शो का एक किरदार हैं । जब यह बात उस शो की रचना करने वाले डायरेक्टर को पता चलती है तो वो लॉरेन को भी उसके पिता की तरह शो में से गायब करवा देता है । लेकिन वहाँ से जाने से पहले लॉरेन ट्रूमैन को असलियत बताने की कोशिश करती हैं । जिसमे उसका असली नाम सिल्विया होता है और वो बताती है तुम एक शो में हो, सिर्फ तुम ही सच हो बाकी सब कुछ झूठ हैं, हो सके तो इस शो से बाहर निकल जाओ । सिल्विया को फिजी ले जाया जाता हैं । इसलिए मूवी में ट्रूमैन बार बार फिजी जाना चाहता हैं और इसके लिए वो काफी कोशिश भी करता हैं लेकिन शो डायरेक्टर उसकी सारी कोशिशों को नाकाम करता चला जाता हैं । इसे आप मूवी में हुई विभिन्न घटनाओं के माध्यम से समझ पाएंगे ।
ट्रूमैन अक्सर सिल्विया की यादों में ही खोया रहता हैं, जिसे सिल्विया टीवी पर देखकर बहुत खुश होती हैं । सिल्विया के जाने के बाद ट्रूमैन अपने आसपास की घटनाओं को नोटिस करना शुरू कर देता हैं । जैसे आसमान से गिरती हुई स्पॉटलाइट, आसपास के लोग, एक रेडियो चेनल जिस पर उसके द्वारा किए जा रही गतिविधियों की सटीक जानकारी इत्यादि । इससे ट्रूमैन को पता चलने लगता है कि उसके साथ जो हो रहा है वो सब कुछ एक लिखे गए शो की तरह हैं, जिसका मुख्य किरदार वो खुद ही हैं । उसकी माँ, बीवी, दोस्त, पड़ोसी, सहकर्मी और शहर के सभी लोग उस शो का केवल एक हिस्सा भर हैं ।
शो के डायरेक्टर को शक होता है कि ट्रूमैन को इस शो के बारे में पता चल रहा है । इसलिए वो उसके पिता को वापस उस शो में ले आता हैं, ताकि ट्रूमैन उसी शो में इमोशनली होकर रुका रहें । लेकिन तब तक ट्रूमैन की चेतना जागृत हो चुकी होती हैं । वो अब इस शो से बाहर निकलना चाहता हैं ।
वो इसमे कामयाब होता है या नही ? उसे कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है या वो आसानी से इससे बाहर निकल जाता हैं ? इसे आप मूवी में देखिए ।
मूवी में हमे पता चल जाता हैं कि ट्रूमैन शो दरअसल एक बहुत बड़े स्टूडियो में चल रहा एक टीवी शो है जिसका प्रसारण 24 घंटे नॉन स्टॉप चलता रहता हैं । इसके लिए स्टूडियो को एक बड़े शहर का रूप दिया गया है, जिससे पांच हज़ार कैमरे लगाए हुए है जो ट्रूमैन की सभी गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए होते हैं। यह शो पिछले 30 सालों से लगातार चल रहा है और लोगो द्वारा काफी पसंद किया जा रहा हैं ।
हम सभी इंसान भी एक टीवी शो के एक प्रोग्राम के मुख्य किरदारों में से एक हैं । हमारी पूरी दुनिया भी एक फिक्स किरदार की तरह चलती हैं । सभी का अपना अपना किरदार हैं । हम सभी इसे निभाकर खुश भी रहते हैं । लेकिन जब कभी हमारी चेतना जागृत होती हैं, तब हमें हमारा जीवन एक शो की तरह प्रतीत होने लगता हैं, ठीक ट्रूमैन शो की तरह । फिर हम कोशिश करते है कि इस मायाजाल से बाहर निकला जाएं ।
मूवी में एक जगह शो का डायरेक्टर कहता है कि अगर ट्रूमैन में अपनी सच्चाई को जानने की चाहत होगी और वो इसे जानने की पूरी कोशिश करेगा, तो वो इस शो से बाहर निकल जाएगा ।
हम सभी इंसान इस जीवन रूपी शो के किरदार हैं और हम अपने सभी शो में अपने अपने किरदार निभाते चले आ रहे हैं, बिना किसी चाहत के । जिस दिन चाहत ले लेते हैं और इस मायाजाल को समझ लेते है । बस उसी दिन से इस शो से बाहर निकलने की कोशिश में लग जाते हैं ।
यदि हम इस शो मे रहकर किसी सुविधा को पाना चाहते है और उस सुविधा को पाने में अपनी चाहत और कोशिश का बढ़िया तालमेल हो जाता हैं तो वो सुविधा हमे मिल जाती हैं, लेकिन इसकी भी एक लिमिट हैं, जैसे ट्रूमैन की लिमिट है कि वो उस शहर से बाहर नही जा सकता ।
हम इंसानों को भी बार बार इसी जिंदगी रूपी शो में आना होता हैं, इसे भोगना होता है, अच्छे या बुरे कर्मो के रूप में और फिर लौट जाना होता हैं । यह क्रम अनवरत रूप से चल रहा हैं । हम इंसानों में से जब कोई ट्रूमैन बनता है तो वो इस क्रम से बाहर निकलने की चाहत रखता हैं और इसके लिए कोशिश करता हैं, वो इसमे कामयाब भी हो जाता हैं ।
शायद इसे ही मोक्ष / निर्वाण / फ़लाह कहा गया हैं ।
लेकिन इस दुनिया को इतनी लुभावनी और खूबसूरत बनाया गया है कि इसे एक शो के समान समझना मुश्किल ही लगता हैं । इंसान को कभी लगता ही नही की वो किसी शो के मायाजाल में हैं । लेकिन जब चेतना जागृत होना शुरू होती हैं तो सब समझ में आने लगता हैं ।
इंसान बहुत सारी चीजो में स्वतंत्र है तो बहुत सारी चीजो में कुछ नियमो में बंधे हुए है, जो इस शो के मायाजाल का हिस्सा हैं । लेकिन अपने किरदार को जानने के बाद इससे मुक्त होने की कोशिश करते है और मुश्किल से शून्य की अवस्था तक पहुँच पाते है, लेकिन इस क्रम में फिर भी बने रहते हैं, क्योकि इस मायाजाल से निकलने के लिए शून्य से भी पार जाना होता हैं । जो कि बिल्कुल भी मुश्किल नही, बस मुश्किल है,उसके लिए हमारी चाहत और पूर्ण समर्पण ।
मूवी के एक सीन में टीवी शो का क्रिएटर ट्रूमैन से कहता है कि मैं वो हुँ, जो तुम्हें जीने का हौसला देता हैं । तुम सिर्फ एक किरदार हो, असली कुछ भी नही, सिवाय तुम्हारे । तुम्हें डर लग रहा है, तुम इस शो से नही निकल सकते ।
यह सही है जो डरता हैं, वो कभी इस शो से बाहर नही निकल पाता । उसके लिए डर से पार जाना होता है जैसे मूवी में ट्रूमैन करता हैं ।
एक बार खुद को भी इस जीवन रूपी शो का मुख्य किरदार समझकर, अपने ऊपर विचार कीजिए
क्या आप भी एक ट्रूमैन हैं ? 😊
शुक्रिया 🦋
Movie : The Truman Show (1998)
Audio : Hindi & English
Availability : Amazon Prime, Youtube & Telegram
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