आस्ट्रेलिया डायरी-1

 


आस्ट्रेलिया यात्रा वृतांत: तस्वीर नकवी द्वारा 


अपने ऑस्ट्रेलिया ट्रिप से हासिल हुए तजरबात को लिखने से पहले कुछ ऑस्ट्रेलिया की हिस्ट्री के बारे में!!
मुझे मालूम है आप में से ज़्यादा तर को मालूम होगा मगर मैं आदत से मजबूर!!
1800 लाख साल पहले ऑस्ट्रेलिया दक्षिणी गोलार्ध्द (Southern Hemisphere) का हिस्सा था!!
इस को नाम दिया गया है "गोंडवाना लैंड"
इस लैंड से कुछ टुकड़े अलग हुए!!
पहले तीन जो अलग हुए वो थे अफ्रीका, साउथ अमेरिका और इंडिया!!
300 लाख साल पहले ऑस्ट्रेलिया अलग हुआ लेकिन "न्यू गिनी "और "तस्मानिया" अभी भी जुड़े थे!!
डायनासोर जा चुके थे!!
साउथ अमेरिका से "मार्सुपियल" आ चुके थे!!
जिन जानवरों की मादा में "थैली" होती है जिस में बच्चा कुछ दिन तक रहता है वो "मार्सिपियल्स "कहलाते हैं !!
ऑस्ट्रेलिया हर साल सात सेंटीमीटर नार्थ की तरफ़ शिफ्ट हो जाता है !!
लाखों साल में क्लाइमेट के ऊपर बहुत असर पड़ा!!
गोंडवाना लैंड के रेन फॉरेस्ट बदल गए घास के मैदानों में ,बड़े बड़े पेड़ों के जंगलों में और रेगिस्तान में!!
यूकेलिप्टस ने बदलते क्लाइमेट में अपने को ढाला !!



इस कॉन्टिनेंट के जानवर ,चिड़ियां बाक़ी दुनिया से अलग हो कर विकसित हुए !!
इसलिए आज अपने आप में निराले हैं!!
50,000 _65,000 साल पहले "दक्षिण पूर्व"(south- east) एशिया से लोग यहां पहुंच गए!!
इनको हिस्टरी में नाम दिया गया "एबोरिजिनल"
10,000 साल पहले आख़री "हिम युग" ख़त्म हुआ!!
समंदर का लेवल बढ़ा!!
तस्मानिया अलग हो गया!!
हिम युग के ख़त्म होने के बाद पेड़ों और जानवरों की बहुत सी किस्में विलुप्त हो गईं!!
वही बचीं जो बदलते माहौल में अपने को ढाल सके थे!!

***

50,000 साल तक इन "एबोरिजिनल "लोगों ने ऑस्ट्रेलिया में जीने की लड़ाई लड़ी!!
उस वक्त इस जगह की आबो हवा में बहुत बदलाव आ रहे थे!!
कहीं "रेन फॉरेस्ट" ख़त्म हो रहे थे!!
रेगिस्तान बन रहे थे!!

ज्वालामुखी बहुत सक्रिय थे!!
समुद्र का पानी बढ़ रहा था!!
इन आदिवासियों ने न सिर्फ़ ज़िंदगी की जंग जीती बल्की इस जगह को अपना "कल्चर"भी दिया!!
इस कल्चर में शामिल थे कहानियां,गीत,डांस,पेंटिंग्स, रीति रिवाज और क़ानून !!
उनके लगभग 600 ग्रुप्स थे!!
हर एक की अपनी अलग भाषा थी!!
हर एक के अपने रिचुअल्स थे!!
हर एक की अपनी ज़मीन थी!!
पानी के क़रीब रहते थे!!
मछली,बीज,फल खाते थे!!
मरने के बाद मिट्टी में दफ़ना दिया जाते थे!!
1600- A D- यूरोपियन नेविगेटर समझने लगे थे के दक्षिण में कोई लैंड है!!
उन्होंने बिना गए ही उसका नाम रख दिया था "ऑस्ट्रेलिया" जिसका लैटिन जबान में मतलब होता है "दक्षिण"
1606- A D- डच नेविगेटर "विलियम जेंजून" पहले यूरोपियन थे जो ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी किनारे पर पहुंचे!!
1642- A D -दक्षिणी किनारे पर पहुंचे दूसरे डच"एबेल तस्मान"!!
1688-A D इन आदिवासियों को नॉर्थ वेस्ट किनारों पर इंग्लैंड से आए "विलियम डैंपियर"का मुकाबला करना पड़ा!!
1770-A D में इंग्लैंड के "जेम्स कुक "सज़ा याफ़्ता कैदियों को ले कर आज के "सिडनी"पहुंचे!!
11 नाव में सैकड़ों क़ैदी थे!!

इन कैदियों के आने का सिलसिला बहुत साल चला

लगभग 162, 000 क़ैदी इंग्लैंड से ऑस्ट्रेलिया भेजे गए
यह यहां के अलग अलग हिस्सों में पहुंचा दिए गए
तस्मानिया भी भेजे गए
और शुरू हुई आदिवासियों की सब से मुश्किल लड़ाई!!
जिसको वो जीत नहीं पाए !!

***

इस तरह यूरोप वालों की तादाद बढ़ती गई!!
ऑस्ट्रेलिया ब्रिटिश की कॉलोनी बन गया!
1867 -AD- कुछ जगहों पर सोने की कानें मिलने की खबर फैल गई!!
दुनिया भर से लोग जाने लगे ऑस्ट्रेलिया की तरफ़!!
ब्रिटेन,अमेरिका,जर्मनी ,पोलैंड इटली चीन से लोग दौड़ पड़े सोने के लालच में!!
यह कहलाता है "गोल्ड रश "
इसका फ़ायदा यह हुआ के सड़के बनीं,घर बने ,मशीनें बनीं ,कारखाने बने!!
1901-A D- ऑस्ट्रेलिया का अपना संविधान बना!!
1914 - A D- ऑस्ट्रेलिया ने पहले विश्व युद्ध में ब्रिटेन की तरफ़ से हिस्सा लिया!!
416,000 सिपाही भेजे गए!!
60,000 मारे गए!!



152,000 ज़ख्मी हुए!?
1939-1945 A D- ऑस्ट्रेलिया ने दूसरे विश्व युद्ध में भी हिस्सा लिया!!
जापान ने उसके शहर डार्विन पर बमबारी भी की!!
सितंबर 11 के हमले में अमरीका का साथ दिया!!
2001-2021 -A D _ अफ़ग़ानिस्तान वॉर में अमरीका के साथ रहा!!
2003-2009 A D- इराक़ वॉर में अमरीका के साथ रहा!
इसका सब से बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर चीन है!!
ऑस्ट्रेलिया, एरिया के हिसाब से दुनिया के छठे नंबर पर आता है!!
आबादी 2.57 करोड़ है
धर्म
43.9 परसेंट _ ईसाई
38.9 ___कोई धर्म नहीं
3.2________ इस्लाम
2.7 ________ हिंदू
2.4_________बौद्ध
1.7__________और दूसरे

***

अब इनफॉर्मेशन के साथ साथ "पर्सनल टच " भी!!

हम मलेशियन एयरलाइंस से 17 अक्टूबर की रात दस बजे अपने बेटे" टीपू" के घर पहुंचे थे!!

उसका घर सिडनी के" पैरामैटा" इलाके में है

घर पहुंचे ,बच्चियां सो चुकी थीं!!

बहू रेशम "वेलकम" का केक सजा कर इंतजार में थी!

केक काट कर खाना खा कर जो सोए तो अगले दिन दस बजे ही आंख खुली!!

अगले दिन 18 अक्टूबर थी!!

बेटे की सालगिरह का दिन!!

रेशम ने कहा सालगिरह का केक घर के पास के पार्क में ही काट लेंगे ,पार्क भी देख लेंगे!!

घर के बाहर यह पहली सुबह थी!!

आसमान ऐसा नीला के देखती ही रह गई!!

घास , पेड़ ,फूल सब बहुत प्यारे!!

सड़क,फुटपाथ बेहतरीन

बेटे ने केक काटा ,कुछ देर इन कीमती पलों में डूब कर कुछ न देखा!!

जब सब हो गया और मैने अपने चारों तरफ़ देखा तो हैरान ही रह गई!!

हिस्टरी मेरा पीछा नहीं छोड़ती!!

यह एक एतिहासिक जगह थी!!

पहली वर्ल्ड वॉर और दूसरी वर्ल्ड वॉर में शहीद होने वाले सिपाहियों का मैमोरियल !!

सामने ही बहुत खूबसूरत चर्च था!!

मैं कभी मैमोरियल पर लिखी इबारत पढ़ती ,कभी चर्च को क़रीब से देखती ,कभी फूल देखने लगती !!

अजीब हाल था!!

मैने बहू से पूछा सामने क्या है उसने बताया यह "पैरामेटा"नदी है !!

हम नदी पर पहुंचे !!

और फिर अगले लगभग दो महीने यह नदी मेरी हो गई या में इसकी हो गई !!

***

कई कल्चर्स वाला पैरामेटा एक मसरूफ़ कारोबारी इलाका है!!

यह कला और फ़िल्मों के लिहाज़ से एक उभरती हुई जगह है!!

"चर्च स्ट्रीट" यहां की पहचान है!!

वेस्ट फील्ड मॉल,आधुनिक "बार" और दुनिया भर के खानों के बड़े बड़े रेस्टुरेंट यहां की रौनक़ बढ़ाते हैं!!

पूरी स्ट्रीट पर कई खूबसूरत चर्च हैं!!

यहां नीचे बहती है पैरामेटा रीवर!!

नदी के ऊपर पुल से डूबते सूरज को देखना मेरा रोज़ का रूटीन था!!

साफ़ आसमान में ऐसे रंग बिखरते थे के मैं बस देखती रह जाती थी!!

आगे थे रेस्टुरेंट,वहां की म्यूज़िक और क़हक़हों की आवाज़ें अजीब समां बनाती थीं!!

मैं यहां खड़े हो कर लोगों को गुज़रते देखती रहती थी!!

एशियन,अफ्रीकन अंग्रेज़ सब अपने अपने अंदाज़ में तेज़ तेज़ गुजरते हुए!!

कम कपड़े पहने ख़ूबसूरत महिलाएं भी

पूरी अबा और हिजाब पहने महिलाएं भी

लेकिन सब आत्म विश्वास से भरपूर

यहां खड़े हो कर मैंने जाना अपनी ज़बान या भाषा से बड़ा लोगों को मिलाने वाला और कुछ नहीं होता

हर इंडियन ,पाकिस्तानी ,नेपाली नमस्ते या हेलो कह कर हिंदुस्तानी में कुछ जुमले ज़रूर बोलता था!!

कभी कभी कुछ बच्चे दादी या नानी कह कर क़रीब भी आ जाते थे!!

यहां इंडियंस ,पाकिस्तानी बहुत हैं!!

मेरे बहुत से दोस्त बने!!

आख़री दिन विदा होते वक्त लग रहा था बहुत अपनों से विदा हो रही हूं!!

कितना अजीब होता है इंसान!!

***

"एक दिन " डार्लिंग हार्बर" पर"

7000 साल तक डार्लिंग हार्बर वांगल और गाडिगल समुद्री एबोरिजीनल कबीलों की बंदरगाह रहा!!

यहीं परमैटा नदी आ कर समुद्र से मिलती है!!

यहीं से यह प्राचीन लोग मछलियां पकड़ कर नदी के रास्ते से आगे तक पहुंचाते थे!!

यह लोग इस जगह को "टैमलौंग" पुकारते थे!!

यानी जहां समुद्री खाना मिलता है!

1788 में जब यहां यूरोप का पहला समुद्री बेड़ा पहुंचा तो वो अपने साथ लाए,स्मॉल पॉक्स,खसरा,सर्दी ज़ुकाम और फ्लू के वायरस!!

एबोरिजिनल्स इनके आदी नहीं थे !!

बीमारियों से बहुत लोग मारे गए!!

बहुत ताक़त वर इम्यूनिटी वाले ही बचे !!

वो आज भी इस इलाक़ेमें मौजूद हैं!!

यहां "शेल फिश" के शेल्स किनारों में जमा थे!!

इस लिए यूरोप के लोगों ने इसको नाम दिया"कॉकल बे"!!

1826 में गवर्नर "रॉल्फ डार्लिंग"ने अपने नाम के ऊपर इसका नाम रखा"डार्लिंग हार्बर"!!

यहां दुनिया भर से शिप्स आती हैं !!

सिडनी के बहुत से इलाकों से पैरामेटा नदी से "क्रूज़" आते हैं!!

यहीं पर ऑस्ट्रेलिया का पहला स्टीम इंजन बना!!

पावर हाउस बना!!

शिप्स बनने शुरू हुए!!

यहां "सी लाईफ, वाइल्ड लाइफ,मैडम तुसाद"जैसे बड़ी बड़ी देखने लायक़ जगहें हैं!!

नीचे फ़ोटो सी _ लाईफ के हैं

पैंगुइनस को देखना सब से बड़ा आकर्षण!!



यहां हर वक्त इवेंट्स होते रहते हैं!!

हर शनिवार को जबर्दस्त आतिशबाज़ी का शो होता है!!

यह सिडनी की सब से ज्यादा भीड़ वाली जगह है!!

हमने एक पाकिस्तानी रेस्टुरेंट "स्टूडेंट बिरयानी" में खाना खाया

बहुत यादगार खाना भी और लोगों की मुहब्बत भी

***

23 अक्टूबर को बेटा, बहू ऑस्ट्रेलिया की राजधानी "कैनबरा" दिखाने ले गए!!

यह सिडनी से 300 किलोमीटर दूर है!

गाड़ी से सुबह को निकले

शानदार हाई वे!!

दोनों तरफ़ ला तादाद पेड़!!

कहीं कहीं खूबसूरत हरे रंग के घास के मैदान।।

हर छोटी सी बड़ी इनफॉर्मेशन के बोर्ड्स!!

195 किलोमीटर बाद एक ख़ास शहर आया "गॉलबर्न"!!

यहां यूरोपियों के आने से पहले "मुलवारी"क़बीले के आदिवासी रहते थे!!

बहुत से आदिवासी बीमारियों से मर गए!!

बहुत से नर संहार में मारे गए!!

उस वक्त के गवर्नर "मैक्यूरी"ने उन्हें दक्षिण की तरफ़ धकेल दिया

1863 में क्वीन विक्टोरिया ने इसे ऑस्ट्रेलिया का पहला "इनलैंड" शहर" डिक्लेयर किया!

यहां से आदिवासी हटाए जाते रहे और भेड़ें ला ला कर पाली जाने लगीं!!

इनका ऊन "यॉर्कशायर" इंग्लैंड भेजा जाता था जहां उनसे अच्छी क्वालिटी का "वूल" बनाया जाता था!!

इस पूरे प्रोसेस में ब्रिटिश स्टेट के साथ चर्च का भी अहम रोल था!!

आज भी यहां बहुत सारे चर्च हैं!!

1985 में गॉलबर्न की तरक्की को सेलिब्रेट करने के लिए कंक्रीट और स्टील का एक भेड़ का बड़ा सा स्टेच्यू बनवाया गया!


"बिग मैरिनो" कहलाता है!!

15.2 मीटर ऊंचा और 18 मीटर लंबा है!!

अंदर जाने का रास्ता भी है!!

अंदर यह हिस्ट्री लिखे हुए बोर्ड्स हैं!!

जिनको दिलचस्पी हो वो पढ़ लेंगे!!

हर जगह हिस्ट्री पर बहुत ध्यान दिया गया है!!

बराबर ही में ऊन से बनी चीजों का शो रूम भी है!!

2018 में गॉलबर्न की आबादी 23,835 थी

इन में आदिवासी 4.3 पर्सेंट ही हैं!

28.7 परसेंट कैथोलिक हैं!

31 .1 परसेंट का कोई धर्म नहीं!

***

आप ने मेरी पिछली पोस्ट्स को पढ़ा , लाईक भी किया ,इसके लिए तहे दिल से शुक्रिया


आगे भी बर्दाश्त करेंगे,उम्मीद है

हम गॉलबर्न से सीधे कैनबरा पहुंचे

यह ऑस्ट्रेलिया की राजधानी है!!

यूरोपियन राइटर्स ने उस वक्त यहां के आदिवासियों को "कैमबरा" लिखा है!

इस लिए 12 मार्च,1913 को जब यह शहर राजधानी बना तो नाम रखा गया "कैनबरा"

एबोरिजनल ज़बान में इसका मतलब है "मिलने की जगह"

इस से पहले यहां छै अलग अलग ब्रिटिश कालोनियां थीं

वो सब एक फेडरेशन बनीं!!

तलाश शुरू हुई राजधानी की!!

उस वक्त सिडनी और मेलबॉर्न की आपस की बहस ख़्तम करने के लिए चुनाव हुआ इस समुद्र से दूर शहर का!!

इसकी प्लानिंग, डिज़ाइन का ज़िम्मा मिला शिकागो के आर्किटेक्ट जोड़े "बरले ग्रिफ़िन" और उनकी पत्नी"मैरियन माहोनी" को!!

पूरा शहर प्लान कर के बनाया गया है!!

यहां ऑस्ट्रेलियन वॉर मेमोरियल ,म्यूजियम,नेशनल मिंट, साइंस सेंटर,सुप्रीम कोर्ट,पार्लियामेंट और बहुत कुछ है!!



हम दो दिन में सिर्फ़ वॉर मेमोरियल,मिंट और साइंस सेंटर ही जा पाए!!

मिंट में एक सेक्शन ऑस्ट्रेलियन डायनासोर के लिए है!!

उन से रिलेटेड हर इनफॉर्मेशन मौजूद थी!!

मिंट में भी बच्चों को अंदर जाने पर एक छोटी सी क्विज बुक दी जो घूमते हुए बच्चों को पूरी करनी थी!!

सारी मशीनें ऊपर से देखी जा सकती थीं!!

साइंस सेंटर में फ़िज़िक्स के बुनियादी कॉन्सेप्ट्स बहुत ही अच्छी तरह समझाए गए थे!!

वॉर मेमोरियल एक लेक पर बना है जो "ग्रिफ़िन लेक"कहलाती है!!

साइंस सेंटर में मिस्र की "ममीज़" के ऊपर एक शो देखा,जबरदस्त!!

मायरा ने एक सवाल का जवाब भी दिया

ख़ुशी के साथ साथ हैरत भी हुई!!

एक जगह लकड़ी से बने मशहूर साइंस दानों के स्टेच्यू थे!!

कैनबरा की आबादी 374,245 है

सड़क पर लोग बिल्कुल नहीं दिखे!!

कारें भी बहुत कम दिखीं!!

कुल मिला कर बहुत खूबसूरत प्लांड शहर!!
***
28 अक्तूबर को हम "ग्रैफ़टन" शहर के लिए निकले!!

यह सिडनी से 608 किलोमीटर दूर है!!

यहां "जैकेरेन्डा" के बहुत से पेड़ हैं जिन में अक्तूबर में कासनी फूल खिलते हैं !!

यहां के लोग इस वक्त "जैकेरन्डा फेस्टिवल" मनाते हैं!!

बेटा वहीं गाड़ी से ले जा रहा था!!

बहुत अच्छा रास्ता!!

72 किलोमीटर बाद एक शहर में रुके उसका नाम था "गैसफोर्ड"!!

यह शहर 1839 में बना था!!

यहां" पैशन फ्रूट", अंगूर की तरह का एक फल और संगतरों की खेती होती है!!

बहुत खूबसूरत "बीच" भी है!!

यहां की आबादी 178,427 है!!

अगला "स्टॉपेज" हैरीज़ लुक आउट" था!!

यहां उंचाई से समुद्र देखा जा सकता था!!

यहीं से लोग पैराग्लाइडिंग के लिए जा रहे थे

गरैफ़्टन पहुंचते पहुंचते रात हो गई!!

हम एक गांव में गन्ने के खेत में रुके थे!!

इसके किसान ने अपने बड़े घर के आधे हिस्से को गेस्ट हाउस बना दिया है!!

गरैफ़्टन गन्ने की खेती के लिए मशहूर है

बहुत सी शुगर मिल्स भी हैं

बहुत ही आराम देह घर !!

हमने वहां एक रात, एक दिन गुज़ारा

उस किसान की सब से दिलचस्प बात थी के उसका साथी एक "मर्द " था

वो बड़े गर्व से उस से मिलवाता भी था

वहां सूरज निकलते हुए देखना कभी भूल ही नहीं सकती!!

नाश्ता करके गरैफ़्टन शहर गए!!

हर तरफ़ जैकरंडा के फूलों से लदे हुए पेड़!!

लोग पार्क में उन फूलों का खिलना जोश ख़रोश से मना रहे थे!!

ज़्यादा तर सीनियर सिटीज़न ही थे!!

बहुत अच्छा लगा!!

लौटने में एक बीच पर रुके!!

जिसका नाम था"न्यूकैसल"!!

बहुत ख़ूबसूरत!!

यहां एक पेड़ देखा जिस पर टोपियां ,चप्पल वगैरा टंगे थे!!

लोगों का मानना था इस तरह वो जल्दी ही फिर आएंगे!!

यादगार दो दिन गुज़ार कर रात को सिडनी पहुंचे!!

***
जो लोग भी पढ़ रहे हैं उनका शुक्रिया

अब आगे

11 नवंबर को बेटा बहू ने "गोल्ड कोस्ट" जाने का प्रोग्राम बना रखा था!!

गोल्ड कोस्ट ऑस्ट्रेलिया की स्टेट "क्वींसलैंड"में है!!

यह यहाँ का छठा बड़ा शहर है!!

एक बहुत चर्चित टूरिस्ट स्थान है!!

अपने खूबसूरत समुद्री किनारों,गगन चुंबी इमारतों ,दूर तक फैले रेन फॉरेस्ट और अपने ख़ुशगवार मौसम के लिए मशहूर है!!

1770 में "जेम्स कुक"पहले यूरोपियन थे जो वहां पहुंचे थे !!

उस से पहले आदिवासी ही रहते थे!!

फिर लोग जाते रहे और "विकास"होता रहा!!

1925 में "सर्फेस पैराडाइज़" होटल बना!!

1940 में नाम रखा गया "गोल्ड कोस्ट"!!

यहां का ट्रांसपोर्ट सिस्टम बहुत अच्छा लगा!!

"लाइट रेल"पूरे गोल्ड कोस्ट में सड़क के बीच में चलती हैं!!

हर जगह को जोड़े हुए!!

टूरिस्ट यहां भरे रहते हैं!!

335 मिलियन डॉलर का योगदान करते हैं !!

उनकी दिलचस्पी की हर चीज़ मौजूद है!!

हम एक घंटे की फ्लाइट के बाद रात में गोल्ड कोस्ट पहुंचे थे!!

वो रात वहीं एयरपोर्ट के पास एक मोटेल में गुज़ारी !!

बहुत आरामदेह!!

दिन में गोल्ड कोस्ट के लिए रवाना हुए लाइट रेल से!!

दो घंटे के बाद "सर्फर्स पैराडाइज "एरिया पहुंचे!!

अपने होटल अपार्टमेंट पहुंचे!!

यह 42 th फ्लोर पर था!!

अंदर देखा बहुत प्यारा अपार्टमेंट!!

मैं दौड़ कर बालकनी पर पहुंची!!

और बस देखती ही रह गई!!

नीचे एक साईड पर गगन चुम्बी इमारतें और साथ में नीला ,खूबसूरत दूर तक समद्र का किनारा!!

हर बालकनी से समुद्र की आवाज़ें!!

मुझे लगा में ख्वाब देख रही हूं!!

हम चार दिन रहे और मैं कम से कम सो कर बस लहरों को ही तकती रही!!

उस दिन एक मॉल में भी गए !!

बस जैसे अच्छे मॉल होते हैं वैसा ही!!

अच्छा यह लगा के बहुत से इंडियंस ख़ास तौर से गुजराती इंडियंस ,पाकिस्तानियों से मुलाकात हुई!!

यह लोग स्टोर्स पर ड्यूटी दे रहे थे!!

लौट कर आए तो "अलीशा "की सालगिरह मनाई गई!!

अलीशा के फैवरिट कैरेक्टर "विगल्स"को बहू ने थीम बनाया था!!

विगल की ड्रेस ,वही गुब्बारे और मास्क!!

अलीशा बहुत खुश हुई!!

अगले दिन घूमने जाने का प्रोग्राम था!!

मैं समुद्र को तकते हुए ही सोई!!

बेडरूम से भी साथ था!!

***

आप सब लोगों का शुक्रिया!!


मुझे झेलने के लिए!!

हमने गोल्ड कोस्ट में चार दिन गुज़ारे थे!!

इस लिए इस पोस्ट में फ़ोटो ज़्यादा हो गए!

अगले दिन हम अलीशा की सालगिरह मनाने "ड्रीम वर्ल्ड" पहुंचे!!

यहां टूरिस्ट को खींचने के लिए हर चीज़ मौजूद है!!

बच्चों के सेक्शन में बच्चों के लिए शोज़, राईड्स ,घूमते हुए कैरेक्टर्स और प्यारी सी ट्रेन!!

अलीशा ने " विगल्स" का शो बहुत ही शौक़ से देखा!!

उन लोगों के साथ डांस भी किया!!

जिस राईड को कहा उस पर बैठी!!

इतने कम लोग थे !!

फॉरेन नंबर आ जाता था!!

फिर ट्रेन में आ कर बैठे!!

उसके स्टेशन भी कम दिलचस्प नहीं थे!!

पहला "वाइल्ड लाईफ" का स्टेशन था!!

यहां तो उतरना ही था!!

यहां यह हिस्ट्री से रिलेटेड फोटोज भी लगे थे,!!

मुझे बहुत ज़रूरी लगे इस लिए शेयर भी कर रही हूं

यहां कंगारू,कोला ,चीता , मगरमच्छ वगैरा सब ही कुछ थे !!

उनके पिंजरे भी लाजवाब!!

यहां शुरू में ही यह दो जापानी लड़कियां मिलीं!!

टूटी फूटी इंग्लिश में बात हुई!!

पूरी जगह देख कर दो घंटे बाद जब ट्रेन में बैठ रहे थे वो फिर मिलीं !!

कोला के साथ अपना फोटो दिखाया!!

और बताया वो कहां खिंचवाया

मैं किसी तरह भागती हुई वहां पहुंची!!

और कितने जोश में यह फोटो खिंचवाया!!

महंगा तो था !!

लेकिन उस खुशी का अंदाजा लगाना मुश्किल है जो मुझे मिली!!

यह फोटो सब से लास्ट में है!!

अगला स्टेशन स्पेस के बारे था
रॉकेट्स,मिसाइल्स वगैरा!!

यहां उतरे नहीं!!

अगले दिन बेटे की एक मीटिंग थी!!

सब लोग होटल ही में रहे!!

लेकिन मैं आ गई "बीच" पर!!

फिर"रिप्ले ,बिलीव और नॉट "के म्यूजियम में गई!!

एक से एक अजीब चीज़ें!!

जो मुझे बहुत ख़ास लगीं उनका फ़ोटो लगाया है!!

पूरे दिन अकेले " सर्फेस पैराडाइज" में घूमती रही!!

अगले दिन एक " वाईल्ड लाइफ़ सैंक्चुअरी" गए।

बहुत बड़ा और बहुत इंटरेस्टिंग!!

एक पूरा सेक्शन डायनासोर का!!

बहुत जीते जागते मॉडल्स !!

उनकी पूरी हिस्ट्री !!

एक सेक्शन कंगारू का!!

खुले में ढेर सारे कंगारू घूमते हुए देखना बहुत अच्छा लगा!!

बहुत भोला जानवर है!!


एक सेक्शन "द लॉस्ट वैली"


यहां ग्रेट पांडा,तरह तरह के बंदर वगैरा थे!!

एक शो "एबोरोजिनल" लोगों का देखा!!

उनकी भाषा में गीत संगीत और डांस!!

इस सब में पूरा दिन गुज़र गया!!

शाम को आख़री आइटम!!

एक प्लेट ख़रीदिए उसमें एक तरल खाना डाला जाएगा!!

उसको लेकर खड़े हो जाएं!!

बस कुछ देर बाद शोर मचाती हुई सैकड़ों चिड़ियां आएंगी

उन प्लेटों पर बैठ कर खाना खाती हैं!!

और फिर इतना ही शोर मचा कर वापस जाएंगी

शाम को सिडनी की फ्लाइट थी

वहीं से एयरपोर्ट आए!!

इत्तेफ़ाक से सूरज के डूबने का वक्त था !!

मुझे यह मंज़र भी देखने को मिल गया!!

बहुत यादगार यादें गोल्ड कोस्ट की!!

***
19 नवंबर, 22 की सुबह का मुझे बेचैनी से इंतजार था!!

उस दिन बेटे ने मेरा "होबार्ट" का टिकट करा रखा था!!

फ्लाइट सुबह आठ बजे की थी!!

इस लिए सुबह चार बजे हम एयरपोर्ट के लिए निकल गए!!

होबार्ट ऑस्ट्रेलिया की सब से छोटी स्टेट "तस्मानिया" की राजधानी है!!


इसकी आबादी लगभग 2,47086 है!!


श्री लंका से बस कुछ ही बड़ा है!!

1642 में सब से पहले यहां डच नेविगेटर "जेंजुन तसमान" आए!!

उनके नाम पर ही यह नाम रखा गया !!

उस से पहले हज़ारों साल से यहां आदिवासी" पलावा" ट्राईब के लोग रहते थे!!

1803 में ब्रिटिश
कॉलोनाइजेशन शुरू हुआ!!

ब्रिटिश बेड़े अपराधियों को ले ले कर होबार्ट पहुंचे!!

उस वक्त 15000 आदिवासी थे!!

1835 तक उनकी आबादी सिर्फ 400 रह गई थी!!



बहुत से बीमारी से मरे!!

बहुत से आपस के मुकाबलों में!!

जो बचे वो करीब के आइलैंड में पहुंचा दिए गए!!

एयरपोर्ट पहुंच कर पता लगा किसी टेक्निकल वजह से यह फ्लाइट मेलबॉर्न हो कर जाएगी!!

इस बहाने मैं मेलबर्न पहुंच गई!!

वहां एयरपोर्ट पर दो घंटे रुकी!!

बहुत अच्छा एयर पोर्ट!!

दोपहर एक बजे के करीब होबार्ट पहुंची!!

छोटा लेकिन बहुत अच्छा एयरपोर्ट था !!


बाहर निकली तो मेरे ताया ज़ाद बड़े भाई"इकराम हुसैन" मिले!!


मुझे लेने के लिए बहुत देर से इंतजार कर रहे थे,!!

इनके छोटे भाई "इंतजाम हुसैन "के लिए मैने सितंबर में एक पोस्ट लिखी थी!!

जो स्क्वाड्रन लीडर थे और सिर्फ 38 साल की उम्र में देश के लिए जान दी थी!!

भाई इकराम पिछले 62 साल से होबार्ट में है!!

चौबीस साल की उम्र में होबार्ट आए तो फिर यहीं के हो गए!!



भाभी भी होबार्ट ही की हैं!!

भाई गवर्नमेंट के जियोलॉजिकल डिपार्टमेंट से बहुत अच्छी पोस्ट से रिटायर हुए हैं!!

अब तक सात किताबें लिख चुके हैं!!

भाभी भी एक किताब लिख चुकी हैं !!

चालीस साल तक बारवीं क्लास को लिटरेचर पढ़ाती रहीं!!

भाई ने बीस साल पहले एक ग्रुप बनाया था"अमरोहा इंटरनेशनल सोसाइटी"!!

इसके तहत अमरोहा के दो या तीन लोगों का हर साल मुफ्त "कैटारेक्ट" का ऑपरेशन भी होता है!!

अब तक सैकड़ों लोगों का ऑपरेशन हो चुका है!!

इसके अलावा कुछ बच्चों को पढ़ने के लिए स्कॉलर शिप भी दिया जाता है!!

भाई ने गाड़ी से काफ़ी होबार्ट दिखाया!!

बाहर बारिश हो रही थी!!

घर आ कर बहुत अरसे बाद भाभी से मुलाकात हुई!!

बहुत बहुत अच्छा लगा मिल कर!!

भाई भाभी का घर बहुत ही खूबसूरती से सजा हुआ है!!

लोकेशन भी बहुत प्यारी है!!


सामने ही बहुत बड़ी लेक!!


पहाड़, पेड़ घास सब बहुत खूबसूरत!!

"सादेकैन नक़वी "की पेंटिंग्स देख कर हैरान रह गई!!

भाई भाभी के लिए ही बनाई थीं!!

पूरा घर फ़ोटो फ्रेम से सजा हुआ!!

दोनों की फैमिलीज़ के ख़ास लोगों के फ़ोटोज़!!

हर कमरे में किताबें!!

सब कुछ शानदार!!

***

आप लोग होबार्ट में भी मेरे साथ हैं ,अच्छा लग रहा है!!

साथ रहियेगा!!

डिनर तक लगातार बातें होती रहीं!!

भाई के हाथ का मज़ेदार "क़ोरमा" खाया!!



भाभी ने मुझे मेरा कमरा दिखाया!!

बेड आरामदेह और थकी हुई बहुत !!

लेटते ही सो गई!!

अगली सुबह जब उठी तो सूरज निकल चुका था!!

बहुत अफ़सोस हुआ के इतनी प्यारी लोकेशन पर "सनराईज़" नहीं देखा!!

नाश्ते पर भाभी ने बताया के हम एक घंटे में"कोल्स बे"के लिए निकल रहे हैं!!

कोल्स बे होबार्ट से 175 किलोमीटर दूर तस्मानिया के पूर्वी तट पर एक छोटा शहर है !!

इसकी आबादी एक हज़ार से भी कम है!!


लेकिन हमेशा टूरिस्टों से भरा रहता है!!


उनकी दिलचस्पी का हर सामान मौजूद है!!

भाई भाभी का वहां एक "हौली डे होम" भी है!!

वहीं दो दिन गुज़ार कर तीसरे दिन मुझे सिडनी जाना था!!

एयरपोर्ट लौटते में रास्ते में ही पड़ेगा इस लिए फिर घर न आ पाऊंगी!!

प्रोग्राम सुन कर अच्छा लगा!!

लेकिन भाई के घर से इतनी जल्दी रूख़सती का अफ़सोस भी था !!

जल्दी से घर के अंदर के गार्डन में गई!!

भाभी ने बहुत खूबसूरत बना रखा है!!

फ़ोटो लिए!!

घर से निकल कर भी एक गार्डन है ,उसके फ़ोटो लिए!!

भाभी ने अपनी किताब" दा स्कॉर्पियन गार्डन" दी जो उनके अमरोहा के ट्रिप के बारे में थी!!


हम अमरोहा के "नक़वीज़" के पुरखे ईरान से आए थे!!


उनके मज़ार की ख़ासियत है के कैसा भी बिच्छू हो यहां नहीं काटता!!

यह किताब वहीं के विजि़ट के बारे में थी!!

भाई ने भी अपनी लिखी हुई कई किताबें मुझे दीं!!

उनके घर के दरवाज़े पर लिखा है"नक़वी दोस्ताना"

नक़वी दोस्ताने से बहुत प्यारी यादें ले कर गाड़ी में बैठ गई!!

गाड़ी भाभी ही चला रहीं थीं!!

बहुत ही ख़ूबसूरत रास्ता!!


हरे भरे अंगूर की बेलों के खेत दूर तक!!

" स्पाइक ब्रिज" का फ़ोटो ख़ास तौर से लिया!!

यह 1850 में ऑस्ट्रेलिया से लाए गए" क़ैदियों "ने बनाया था!!
इस में सीमेंट का इस्तेमाल नहीं हुआ था""


रास्ते में जो भी "बीच" पड़ता था भाभी गाड़ी रोक देती थीं!!

समझ गईं थीं मेरी कमज़ोरी को!!

एक अच्छे रेस्तरां में लंच भी लिया!!

शाम तक हम कोल्स बे पहुंचे !!

***
होबार्ट अभी चल रहा है!!
साथ देने का शुक्रिया!!
इतनी ख़ास जगह और इतने ख़ास लोग,समेट न पाई!!

हम कोल्स बे दोपहर को पहुंचे!!

तस्मानिया के नक्शे में सीधे हाथ को जो स्ट्रिप सब से ऊपर दिख रही है ,उसके बीच में कोल्स बे है!!
यहीं "फ्रेसिनेट पेनिनसुला "है!!
यहीं "हैज़ार्डस" नाम के पांच पहाड़ों की श्रृंखला है!!
यह पहाड़ लाखों साल पहले ज्वालामुखी फटने से बने थे!!
इनके अंदर एक एलिमेंट पाया जाता है"फ़ैल्डसपार"!!
इसकी वजह से इनका रंग गुलाबी होता है!!
बहुत ही खूबसूरत जगह है!!
साफ़ नीला पानी,गुलाबी पहाड़ ,साफ हवा !!
इतनी खूबसूरती के लिए ही इसको "हनीमून बे " भी कहा जाता है!!
वहां कुछ देर रुक कर घर की तरफ़ चले!!
घर के बिल्कुल पास ही "फिशरीज़ बीच"है!!
बहुत साफ़ नीला पानी, सफ़ेद रेत!!
यहां से भी हैज़ार्डस की पहाड़ियां दिख रहीं थीं!
शाम तक घर पहुंचे!!
यह तीन कमरों का बहुत ही आराम देह घर है!!
बिल्कुल सेट!!
कोर्टयार्ड के सामने ही समुंदर है!!
हर तरफ़ बेहद घने हरे पेड़!!

भाई ने चाय बनाई!!

रात का खाना होबार्ट से ही ले कर चले थे!!
खाना खा कर फिर बैठने की हिम्मत न हुई!!
मैं सुबह पांच बजे का अलार्म लगा कर सोई !!
सुबह समुंदर पर सूरज निकलते हुए देखना था!!
अगले दिन सुबह भाई भाभी को सोता हुआ छोड़ कर बीच पर पहुंच गई!!
सनराईज़ तो पेड़ों के पीछे से हुआ लेकिन पानी का रंग बदलता रहा!!
बहुत देर बाद मुझे एहसास हुआ पूरे बीच में इतनी देर से मैं अकेली हूं!!
कोई भी नहीं!!
बस एक दम खड़ी हुई और तेज़ तेज़ घर की तरफ़ आई!!
उसके बाद दिन भर कितनी बार वहां गई
अगले दिन भी लेकिन एक भी आदमी कभी ना दिखा!!
दूसरे दिन "वाइन ग्लास बे"गए!!
यह भी इन्ही पहाड़ों के बीच में एक जगह है!!
वो जगह देखी जहां से लोग "हाइकिंग"के लिए जाते हैं!!
बहुत हसीन रास्ता था !!
बस शौक़ में कुछ दूर चली फिर वापस आ गई!!
सिर्फ़ वहां पर लोग दिखे!!
भाभी कई "बीचेज़"पर ले गईं!!
सब ही अपने आप में अनोखे!!
मुझे घर से "सन सेट"देखना था!!
घर आए तो बादल थे ,ठीक से न दिखा!!
अगले दिन नाश्ता कर के फिर निकले!!

कुछ रिजॉर्ट ,होटल वगैरा दिखाते हुए वो लोग ले गए "डेविल्स कॉर्नर!!

यह अपने "सी _फूड"और "वाईन" के लिए मशहूर है!!
तरह तरह के वाईन रखे थे!!
जिनको लोग चख रहे थे!!
जो पसंद आता है वही ख़रीदते हैं!!
पता चला हफ़्तों पहले से चखने की बुकिंग करवाते हैं!!
हमने सिर्फ़ सी _फूड ही खाया!!
बहुत ही प्यारा रास्ता !!
ऐसे ही घूमते हुए चार बजे एयर पोर्ट पहुंच गए!!
सात बजे की फ्लाइट थी!!
जुदा होते वक्त अल्फाज़ नहीं मिल पा रहे थे उन लोगों का शुक्रिया कहने के लिए!!
इतना टाईम,इतनी मेहनत और इतनी मुहब्बत दी थी!!
एयरपोर्ट में भी कुछ टाईम मिला!!
कई दुकानों पर इंडियंस मिले!!
बहुत अच्छा लगा उनसे बात कर के!!
जहाज़ ठीक सात बजे उड़ा!!
और मैंने नीचे देखा!!
फिर सब कुछ भूल गई!!
सूरज डूब रहा था!!
मैं ऊपर से "सन सेट "देख रही थी!!
उफ़,वो रंग ,वो मंज़र!!
होबार्ट का लाजवाब तोहफ़ा !!
शुक्रिया होबार्ट!!


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Written by Tasweer Naqvi

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