Mission Osava / मिशन ओसावा
- ₹230.00
- by
- Book: Mission Osava
- Paperback: 218 pages
- Publisher: Gradias Publishing House
- Language: Hindi
- ISBN-13: 978-81-964586-4-5
- Product Dimensions: 22 x 14 x 1.5 cm
क्राईम फिक्शन एक सदाबहार श्रेणी है जिसका आकर्षण कभी भी ख़त्म नहीं हुआ— आम तौर पर अलग-अलग विषयों पर फिक्शन लिखने वाले भी इस श्रेणी में हाथ ज़रूर आज़माते हैं। इस श्रेणी में किसी निरंतरता से मुक्त किरदार भी हो सकते हैं और वे भी जो सीरीज का निर्माण करते हैं और हर अगले भाग में एक नई कहानी जिनके आसपास घूमती है। प्रस्तुत उपन्यास ऐसी ही एक शृंखला की दूसरी कड़ी है, जिसमें एक मिशन है, और उस मिशन के इर्द-गिर्द सिमटी लीनियर रूट पर चलती एक कहानी है।
विशेषतः क्राईम फिक्शन के नाम पर मैंने दो तरह की शृंखलाएं आरम्भ की हैं, जिन्हें पहचान के लिये 'क्राईम फिक्शन' और 'स्पाईवर्स' के रूप में दो अलग-अलग हैशटैग के साथ चिन्हित किया गया है। क्राईम फिक्शन डेविड फ्रांसिस के रूप में एक अकेले किरदार से सम्बंधित सीरीज है— जो एक खास तरह के मनोविज्ञान की उपज है। वह यायावर है, जो दुनिया के चप्पे-चप्पे को देख लेना चाहता है। वह ठरकी है जो दुनिया की हर नस्ल और हर रंग की लड़की को भोग लेना चाहता है… और वह सनकी है, जो दुनिया के हर अपराधी को उसके अंजाम तक पहुंचा देना चाहता है।
लेकिन उसका तरीका थोड़ा अनोखा है… वह अपनी पसंद की किसी जगह पहुंच कर, वहां कोई ऐसी हसीना ढूंढता है जो मुसीबत की मारी हो और उसे मुसीबत से निकालने में लग जाता है, जो अक्सर उसके लिये ही मुसीबत का कारण बन जाती है— इस सिलसिले में जो कहानी जन्मती है, वह क्राईम फिक्शन हैशटैग के अंतर्गत प्रकाशित होती है। यह किरदार अभी ढलने की प्रक्रिया में है और इस प्रक्रिया के तहत इसकी पहली कहानी ‘काया पलट’ के रूप में प्रकाशित हुई है— तो दूसरी कहानी ‘ए डैमसेल इन डिस्ट्रेस’ भी इस कहानी ‘मिशन ओसावा’ के साथ ही प्रकाशित हुई है।
क्राईम फिक्शन के अंतर्गत जो दूसरी शृंखला है, वह ‘स्पाईवर्स’ के हैशटैग के साथ प्रकाशित होती है— जिसमें ‘कोड ब्लैक पर्ल’ के बाद ‘मिशन ओसावा’ दूसरा उपन्यास है। जहां डेविड सीरीज केवल एक किरदार पर आधारित है, वहीं स्पाईवर्स की कहानियां एक एजेंसी पर आधारित हैं— जिसे ‘राॅ’ की एडीशनल डेस्क के रूप में परिभाषित किया गया है और जो बेसिकली विदेश विभाग से जुड़े मसलों में अपने स्पेशल एजेंट्स के साथ परफार्म करने के लिये डिजाइन की गई है, लेकिन तार किसी बाहरी साजिश से जुड़े हों और ज़मीन देश की ही इस्तेमाल की जा रही हो, तो भी वे डील कर सकते हैं।
इस एजेंसी में मुख्यतः आरव, निहाल और संग्राम के रूप में तीन मेल एजेंट्स तो रूबी, सबीना और रोजीना के रूप में तीन फीमेल एजेंट्स हैं— जिनके अपने मिज़ाज हैं और काम करने के अपने तरीके… इन्हें अलग-अलग मिशन दिये जाते हैं जहां इन्हें फिलहाल एक जोड़े के रूप में परफार्म करना होता है— जिसमें इन्हें ग्रेड बी के कुछ एजेंट्स से भी मदद मिलती है।
जैसे ‘मिशन ओसावा’ दरअसल एक नाॅन-स्टेट एक्टर की कहानी है, जिसे भारतीय सीमा में डिस्टर्बेंस पैदा करने के लिये कश्मीर में लांच किया गया है— अब इस शख़्स को ढूंढना, उसे पकड़ना या ख़त्म कर देना उन चार लोगों का मिशन है, जिन्हें इस काम के लिये अलग-अलग रूट से कश्मीर भेजा गया है। कहानी में लीड कैरेक्टर आरव आकाश और रूबी भाटिया हैं… साथ ही इन्हें विराट और रंजीत नाम के ग्रेड बी के दो एजेंट्स का सहयोग भी मिलता है।
आरव एजेंसी के बाकी दो मेन एजेंट्स संग्राम और निहाल से अलग मिज़ाज का है… वह दिमाग़ से बेहद शातिर है, लेकिन एक नंबर का मसखरा है और ज्यादातर मौकों और जगहों पर ख़ुद को किसी मूर्ख के तौर पर पेश करने से उसे एतराज़ नहीं। उसे किसी भी हाल में अपना काम निकालना होता है और उसे यह तरीका इसलिये बेस्ट लगता है क्योंकि यह उसके स्वभाव में शामिल है। हां, उसकी एक गंदी आदत यह भी है कि वह किसी टास्क को पूरा करने में लांग रूट के बजाय शार्टकट तलाशता है और इस चक्कर में कई बार गड़बड़ भी होती है। एजेंसी की दूसरी लड़कियों से इतर रूबी भी उसी के जैसे मसखरे स्वभाव की है— लेकिन उसे ख़ुद को मूर्ख दिखाने से सख्त परहेज रहता है।
एक महत्वपूर्ण बात और… कहानियां कई तरह की हो सकती हैं, लेकिन या तो उनमें सस्पेंस होगा, या ढेर से ट्विस्ट एंड टर्न्स होंगे— जो पाठक को अंत तक बांधे रख सकें… या फिर वह बिना ऐसे ट्विस्ट या टर्न के सीधी, सपाट होगी, जहां कहानी का ट्रीटमेंट और उसकी घटनाएं ही मुख्य होंगी— जो बजाय उलझावों के अपने संवादों, वर्णित दृश्यों, गति और घटनाओं के सहारे शुद्ध मनोरंजन उत्पन्न करती है, जो पाठक को बांध के रखता है। इस हिसाब से क्राईम फिक्शन के अंतर्गत लिखी डेविड सीरीज की कहानियां पहली श्रेणी में आती हैं तो स्पाईवर्स के अंतर्गत लिखी ‘इंद्रप्रस्थ इंटेलिजेंसिया’ से जुड़ी कहानियां दूसरी श्रेणी में।
अगर ढेर से सस्पेंस, ट्विस्ट और टर्न की अपेक्षा के साथ ‘स्पाईवर्स’ के हैशटैग वाली कहानी पढ़ेंगे तो निराशा हाथ लगेगी। उस अपेक्षा से दिमाग़ को मुक्त कर के शुद्ध मनोरंजन के उद्देश्य से पढ़ेंगे तो आपको यक़ीनन पसंद आयेंगी। इस विषय में एक अहम बात यह भी ध्यान रखनी ज़रूरी है कि स्पाईवर्स हैशटैग से जुड़ी यह कहानियां वैश्विक परिदृश्य के हिसाब से वर्ल्ड पाॅलिटिक्स और डिप्लोमेसी आदि से सम्बंधित होती हैं— तो उस विषय में अगर आपको थोड़ी-बहुत पहले से जानकारी है तो आप ज्यादा बेहतर ढंग से रिलेट कर पायेंगे। या चाहें तो पढ़ने के साथ ही गूगल की मदद से भी थोड़ा-बहुत समझ सकते हैं।
प्रस्तुत कहानी में भी इन बातों को इस्तेमाल में लिया गया है— कहानी का बेस ही वर्तमान वैश्विक परिदृश्य है कि किस तरह चौधराहट को लेकर चालें चली जा रही हैं, किन बातों से बार्डर डिस्टर्ब किये जा रहे हैं और कैसे अनदेखी सत्ताएं किसी देश की कंट्रोलिंग बाॅडी को पीछे से ऑपरेट करती हैं। मिशन ओसावा जिस किरदार को ले कर है— वह एक खास मकसद से भेजा गया ऐसा ही एक टूल है, जिससे इंद्रप्रस्थ इंटेलिजेंसिया को निपटना है। अब इस सिलसिले में लद्दाख से कश्मीर तक क्या-क्या होता है… जानने के लिये पढ़िये स्पाईवर्स हैशटैग के अंतर्गत लिखी गई आरव आकाश सीरीज की ‘मिशन ओसावा’!
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