फिल्म समीक्षा: शिंडलर्स लिस्ट

 

Schindler's List


यह मूवी इंसानियत और शैतानियत के बारे में हैं ।

हिटलर की क्रूरता को लेकर काफी मूवीज बन चुकी है जिनमे सबसे क्लासिक मूवीज का ताज इसी मूवी को पहनाया गया हैं । जो लोग क्लासिक मूवीज के शौकीन है उन्होंने ये मूवी जरूर और शायद कई बार देखी होगी । मेने इस विषय पर बनी मूवीज में Life is Beautiful, The Boy in the Striped Pajamas, Jojo Rabbit, The Pianist देखी और इससे ज्यादा मूवी देखने की हिम्मत नही कर पाया । इतना ज्यादा दर्द है इन मूवीज में की आप बिना रोये इनको देख नही सकते ।

इस मूवी में ऑस्कर शिंडलर एक जर्मन व्यापारी होता है । रुपये कमाने के मकसद से वो पोलैंड आता है और वहाँ के सभी सीनियर जर्मन ऑफिसर्स से अपने सम्बंध मजबूत करता हैं । व्यापार के तहत ऑस्कर एक बर्तन बनाने की फैक्टरी खोलता है । उसमे काम करने के लिए उसे वर्कर्स की जरूरत होती हैं। इसके लिए वो जर्मन ऑफिसर आमोन गोथ के कुछ गुलाम यहूदियों को अपनी फैक्ट्री में काम करवाने के लिए राजी कर लेता है । उसके लिए उसे अपने मुनाफे में कुछ हिस्सा आमोन गोथ को भी देना पड़ता हैं ।
यहाँ तक ऑस्कर शिंडलर का रोल एक व्यापारी का दिखाया गया है, जिसे सिर्फ अपने व्यापार से मतलब होता हैं ।

मूवी के मुख्य किरदार ऑस्कर शिंडलर और आमोन गोथ ही हैं । इन दोनो किरदारों में हम समाज के द्वारा तय की गई अच्छे और बुरे इंसान की परिभाषा को देख सकते हैं ।

आमोन गोथ बहुत ही निर्दयी इंसान है जो यहूदियों का कत्ल इस तरह करता है जैसे कि वो उनके लिए कीड़े मकोड़े से ज्यादा कुछ नही । आमोन को बहुत पावरफुल बताया गया है । वो किसी की भी जान ले सकता हैं। उसे इसके लिए पूरी छूट मिली हुई हैं ।

मूवी में जहाँ आमोन के अंदर की शैतानियत को दिखाया गया है, वही उस शैतानियत को देखकर शिंडलर के अंदर इंसानियत का बीज अंकुरित होते हुए दिखाया गया हैं । अब वो सिर्फ व्यापारी नही रह जाता, उसके अंदर मौजूद एम्पेथ का भाव जाग्रत होने लगता हैं , जो कि मूवी के अंत तक अपने शीर्ष पर होता हैं ।
यहाँ आमोन और शिंडलर को देखकर यह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे किसी चीज को संतुलित किया जा रहा हो ।

"पावर का मतलब यह नही की किसी को मारने का पावर हो और उसे मारा जाएं बल्कि पावर का मतलब यह है कि उसे मारने के आदेश को कंट्रोल करके, न मारा जाएं अर्थात कंट्रोल करने की शक्ति पावर हैं ।"

शिंडलर से कुछ मुलाकातों में ही आमोन के अंदर थोड़ी नरमी पैदा हो जाती हैं और वो लोगो को उनकी गलती की मौत की सज़ा को माफी में तब्दील करने की कोशिश तो करता है, लेकिन पूरी तरह से कामयाब नही होता ।
उसका बाथ टब साफ करने वाला लड़का जब वो टब पूरी तरह से साफ नही कर पाता तो आमोन उसे माफ कर देता है लेकिन उस टब में हाथ फेरने पर उसका नाखून टूट जाता है तो वो उस लड़के को गोली मार देता हैं । शिंडलर की वजह से आमोन में जो, किसी को माफ करने का भाव उभरता है, वो सिर्फ बाहरी तौर पर ही रहता हैं । जब उसे तकलीफ पहुचती है तो वो इस भाव को बिल्कुल भूल जाता हैं क्योकि अंदर से वो बेरहम ही होता हैं । बस कुछ समय के लिए शिंडलर की बातों का कुछ असर उस पर हो जाता हैं ।

"अगर किन्ही इंसानो के पास ताकत हो तो उसे कंट्रोल करने का भाव बमुश्किल कुछ ही इंसानो में मिलता हैं ।"

जो इंसान कोई गलत काम करता हैं उसके अंदर स्वतः ही एक अकेलापन भरने लगता हैं । इतने लोगो को मारने के बाद अमोन भी अपने अकेलेपन से जूझता हैं। अपना अकेलापन एक यहूदी औरत हेलन से बांटना चाहता हैं, लेकिन बांट नही पाता । उसके अंदर जर्मन और यहूदी होने की कशमकश बराबर चलती है और अंत मे जर्मन जीत जाता हैं । इस दौरान ऐसा महसूस होता है कि आमोन के अंदर मौजूद छोटा बच्चा अपनी भावनाएं किसी के साथ जाहिर करना चाहता है लेकिन ताकतवर, क्रूर ओमान उस छोटे बच्चे की भावनाओ पर हावी होकर उसके बचपन को खत्म कर रहा होता हैं ।

मूवी आगे बढ़ती है.....जब शिंडलर को पता चल जाता है कि उसके वर्कर्स को खत्म कर दिया जाएगा तब वो अमोन को बड़ी रिश्वत देकर अपने सभी वर्कर्स को वहाँ से दुसरी जगह शिफ्ट करवा लेता हैं । इस तरह की रिश्वत वो मूवी में कई जगह देता है जिसकी वजह से अंततः वो कंगाली में आ जाता हैं । बाकी आप मूवी में देखें ।

मूवी के कई दृश्य आपको विचलित भी करेंगे । एक दृश्य में जब औरते अपने आपको स्वस्थ दिखाने के लिए अपने खून से अपने चेहरे और होठो पर खून लगाती है, ताकि चेहरे की ललाई से वो स्वस्थ समझी जा सके और उनकी जान बच जाएं । एक दूसरे दृश्य में एक यहूदी फीमेल इंजीनियर को सिर्फ इसलिए मार दिया जाता है कि उसके अंदर जर्मन के मुकाबले ज्यादा सलाहियत हैं जबकि यहूदी उनके लिए कीड़े मकोड़े से ज्यादा कुछ नही । एक और दृश्य में हॉस्पिटल में मौजूद यहूदी मरीजों को जहर पिलाकर सिर्फ इसलिए मार दिया जाता है कि वो जर्मन सेनिको की बर्बरता का शिकार न हो । एक यहूदी औरत को इसलिए शूट कर दिया जाता है कि वो काम के दौरान अपने जूते के फीते बांध रही होती हैं । ऐसे ही एक इंसान को इसलिए गोली मार दी जाती है कि वो काम से थककर बैठ गया होता हैं । कब्रो से लाशों को निकालकर उन्हें सामूहिक रूप से जलाने, और बर्फ की जगह उन लाशों की राख का आसमान से जमीन पर पड़ना । ये सभी दृश्य बहुत ही मार्मिक हैं । इन्हें देख पाना हर किसी के बस का नही ।

मूवी के एक सीन में जब ऑस्करशिंडलर का सारा रुपया खत्म हो चुका होता है और उसका मैनेजर स्टर्न उससे पूछता है कि कही कुछ छुपे हुए रुपए हो जो मेरी नज़र में न हो तो बताएं और शिंडलर बोलता है क्या मैं दिवालिया हो गया ? और स्टर्न को हाँ बोलने में जो हिचकिचाहट होती है वो देखने काबिल हैं । उनके चक्कर मे शिंडलर बर्बाद हो चुका होता हैं ।

अधिकांश मूवीज हम मनोरंजन के लिए देखते हैं । लेकिन कुछ मूवीज आपको जीवन जीने के पाठ पढ़ाती हैं । समाज के बनाए हुए सही और गलत के पैमाने के बारे में अवगत करवाती हैं । यह बात अलग है कि हम उससे कितना सीखते हैं या नही । हमारा सीखना भी हमारे अहंकार पर निर्भर करता हैं । अहंकार ज्यादा होगा, तो वो सिर्फ सिखाने का काम करेगा, संतुलित होने पर दोनो और कम होने पर सीखने का काम करवाएगा ।

मूवी के नायक में जब इंसानियत जाग्रत होती है तो वो निस्वार्थ अपनी इंसानियत का उपयोग करता है। जिसे आज आप उसकी कब्र पर भी जाकर देख सकते हैं । जिन 1100 लोगो को उसने बचाया था वो अब काफी फल फूल चुकी है । उनका अच्छा खासा समुदाय बन चुका हैं ।

नेकी का काम कुछ इस तरह से है कि गेंहू के एक दाने को जमीन को दोगे तो वो उसे कई गुना करके तुम्हें लौटायेगा । वो 1100 गेंहू के दाने अब कई गुना हो गए है ।

ऐसा माना जाता है कि दान-पुण्य इस तरह से होने चाहिए कि एक हाथ से हो और दूसरे को पता भी न चले ।

इंसान में अगर देने की प्रवृत्ति आ जाएं तो वो कुदरत के साथ सामंजस्य स्थापित कर लेता है क्योकि कुदरत का काम भी देने का ही हैं । अगर इसमे निःस्वार्थता हो, तो क्या कहने । कुछ विरले लोग ही इस बात को समझ पाते हैं । अन्यथा अधिकतर लोग इसमे भी व्यापार ही करते हैं।

ऑस्कर शिंडलर एक व्यापारी था, लेकिन उसने 1100 लोगो की जान बचाने में कोई व्यापार नही किया, उल्टा वो इस चक्कर मे कंगाल हो गया । शायद ही कोई ऐसा इंसान हो जो नेकी कमाने में कंगाल हो जाए ।

मुस्लिम समुदाय में अभी रमज़ान चल रहे है जिसमे वो अपनी कमाई का कुछ हिस्सा जकात के रूप में निकालते हैं, जो कि जरूरतमंदों को दिया जाता हैं । लेकिन वो हिस्सा जरूरतमंदों को नही मिलता । उस हिस्से का अधिकतर हिस्सा व्यापारी के पास चला जाता हैं । जी हाँ, सही समझे अब भीख मांगना व्यापार हो गया हैं । जकात भी रमज़ान में ही निकाली जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि रमज़ान में की गई एक नेकी के बदले 70 नेकी मिलती हैं अर्थात शुद्ध लालच का व्यापार ।

इसी तरह हिन्दू समुदाय में दान की परंपरा का निर्वाह किया जाता है ताकि इस बहाने से कुछ अच्छे कर्म हो जाएं और बुरे कर्म जो जाने अनजाने में हुए हो, उनसे मुक्ति पाई जा सकें । कुछ विशेष दिवस जैसे कि मकर सक्रांति पर किये गए दान को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, की इस अवसर पर किये गए दान का बदला बढ़िया मिलेगा अर्थात शुद्ध लालच का व्यापार ।

दोनो जगह स्वार्थ है । दोनो का अंतिम लक्ष्य जन्नत या स्वर्ग की प्राप्ति और अंततः मोक्ष की प्राप्ति का लालच जुड़ा हैं ।

"अधिकांश नेक काम डर और लालच के दायरे में किये जाते हैं ।"

लेकिन जब कोई इंसान इन दायरों से बाहर निकल जाता है तो वो ऑस्कर शिंडलर बन जाता हैं । जब तक इंसानी प्रजाति रहेगी इस इंसान को फरिश्ते के रूप में याद रखा जाएगा, खासकर उन 1100 परिवार की आगामी पीढियां । इस फरिश्ते को भूलना बहुत मुश्किल होगा उन सभी के लिए ।

आज आमोन गोथ को कोई याद नही रखता अगर याद करता भी है तो बुरे इंसान के तौर पर, लेकिन जब ऑस्कर शिंडलर को याद किया जाता है तो दिल प्रफुलित हो उठता हैं, मन अपने आप उसको नमन करने लगता है । दिल में उसके प्रति कृतज्ञता के भाव उभरने लगते हैं । उसके जैसा होने का मन करता हैं । ☺️

जो इंसान एक इंसान की जान बचाता है, मानो उसने पूरी इंसानियत को बचाया हैं । हमारी मोहब्बत और नफरत के लिए जिम्मेदार सिर्फ हम ही है, इसको किसी और का नाम देना बेफकूफ़ी हैं ।

"आप लौट सकते है अपने घरों में एक इंसान की तरह या एक कातिल की तरह यह आप पर निर्भर हैं ।"

मूवी के अंत के शिंडलर के सवांद बहुत ही जबरदस्त है, वो उनमे, अपने एम्पेथ होने की सर्वश्रेष्ठ भूमिका में होता है ।
"मैं थोड़ा और कमा सकता तो, चंद और जिंदगियां बचा सकता था.....मैं ज्यादा कुछ नही कर पाया.....ये कार बेच देता तो दस जिंदगियां और बचा लेता....ये पिन..दो और इंसान या कम से कम एक इंसान..एक जान" इन डायलॉगस को और अभिनय को आप सिर्फ मूवी देखकर ही समझ पायंगे, यहां समझना मुश्किल हैं ।

अगर हममें भी शिंडलर की तरह की, थोड़ी सी झलक निःस्वार्थता की आ जाएं, तो अपना यह जीवन सफल समझो । 🤗

पोस्ट लंबी हो रही है, बाकी फिर कभी या कहीं और ।
एक पहलू बाकी रह गया ।

शुक्रिया 🦋

Movie : Schindler's List (1993)
Audio : Hindi & English
Availability : Netflix


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