फ़िल्मी समीक्षा: द ग्रीन माईल

 

The Green Mile

दो मुख्य किरदारों से सजी बहुत ही खूबसूरत मूवी, जो आपको संवेदनाओं से लबरेज़ कर देगी । अगर आप इंसानों की श्रेणी में है तो मूवी के अंत तक आपकी आंखें भीगना फ़र्ज़ है आप पर ।

मूवी शुरू होती है एक बुजुर्ग इंसान के साथ जो ओल्ड एज होम में हैं । वहाँ टीवी पर चल रहे एक फ़िल्म को देखकर वो इंसान फ़्लैश बेक में चला जाता हैं । जहाँ दिखाया जाता है कि वो एक जेल में, एक सेल का इंचार्ज "पॉल" हैं । उसकी जैल में वही कैदी आते है जिनको मौत की सज़ा हो चुकी होती हैं । अब मूवी के दूसरे किरदार "जॉन कॉफ़ी" की एंट्री होती है जो बेहद काला, डरावना और भारी भरकम शरीर का मालिक हैं ।

"जॉन कॉफी मतलब पीने वाली कॉफ़ी लेकिन स्पेलिंग थोड़ी अलग हैं ।"

जॉन कॉफी पर दो बच्चियों के कत्ल का इल्जाम है जिसके तहत उसे मौत की सज़ा दी गई हैं, लेकिन उसने इसकी कोई सफाई नही दी । अगर आप जॉन के किरदार को अच्छे से समझ जाएं तो इसे बात को भी आप मूवी देखते हुए अंत तक समझ ही जायंगे ।

मूवी में देखते है कि जॉन को दैविक शक्ति हासिल है, उसमे गज़ब की हीलिंग पावर है जिससे वो दूसरों की बीमारियों को दूर कर देता हैं । जॉन में दूसरों के अहसास को महसूस करने की क्षमता भी जबरदस्त है, वो आपको मूवी देखने के दौरान अलग अलग दृश्यों में नज़र आ जायेगी ।

अंग्रेजी में एक शब्द है "Sympathy" जिसका अर्थ यह है कि दूसरों के दुःख दर्द के प्रति अपनी सहानुभूति रखना ।

और एक शब्द है "Empathy" जिसका अर्थ दूसरों के दुःख को अपने अंदर महसूस कर पाना हैं ।

मूवी में जॉन को एमपैथ पर्सन बताया गया है । बताते है कि पूरी दुनिया मे मात्र 3% इंसान ही एमपैथ हैं ।

ऐसा माना जाता है कि Empathy हर इंसान के अंदर कुदरती तौर पर मौजूद होती हैं । सभी इंसानों में हीलिंग पावर भी जन्म के साथ ही मौजूद होती हैं, जैसे जैसे हम ग्रो करते हैं । हम अपनी लाइफ को प्राकृतिक रूप से न जीकर अप्राकृतिक रूप से जीने लगते है जिससे हमारी एमपथ होने की क्षमता और हीलिंग पावर भी धीरे धीरे घटने लगती हैं ।

मूवी में जेलर पॉल को यूरिन इन्फेक्शन हो जाता है, लेकिन वो मेडिसिन लेने से डरता है क्योंकि उसके साइड इफ़ेक्ट उसे काफी परेशान करते हैं । मूवी में जॉन की ऐमपथी इतनी प्रबल दिखाई गई है कि वो पॉल की इस समस्या को महसूस कर लेता है और अपनी हीलिंग पावर से उसे ठीक भी कर देता हैं । इसी तरह जॉन एक लगभग मरे हुए चूहे को भी बिल्कुल ठीक कर देता हैं । जेल के मुख्य इंचार्ज की पत्नी को ब्रेन ट्यूमर हो जाता हैं। जॉन अपनी हीलिंग पावर से उसे भी ठीक कर देता हैं ।

उसके इस तरह के काम और उसके बहेद मासूम होने को देखकर पॉल समझ जाता है कि वो कातिल नही । जॉन भी यह बात महसूस कर लेता है और वो पॉल का हाथ पकड़कर अपनी पावर का कुछ अंश पॉल में ट्रांसफर कर देता है, जिससे पता चल जाता है कि उन बच्चियों का हत्यारा कौन है जिसका इल्जाम जॉन पर लगा हैं ।

"मैं वो सब रोक न सका बॉस । मेने रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन में उसे रोक नही सका ।" यह डायलॉग मूवी में दो बार बोला जाता हैं । इसे समझना आसान हैं लेकिन पूरा समझना बहुत ही मुश्किल ।

जॉन के प्रति पॉल की sympathy जगती है और पॉल को लगता है कयामत के दिन मैं ईश्वर के सामने खड़ा होकर कैसे जवाब दूंगा की मेने उसके सच्चे करिश्मे को क्यों मौत की सज़ा दी। मैं खुद को कभी माफ नही कर पाऊंगा । जॉन की सज़ा के दिन पॉल काफी असमंजस में फंस जाता है, जिसे जॉन समझ जाता है और उसे अपने शब्दों से मुतमईन कर देता हैं । मूवी के अंत मे बुजुर्ग पॉल और उस चूहे को दिखाया जाता है जिसे जेल में जॉन ने जीवनदान दिया था । मूवी में और भी काफी कुछ देखने को हैं ।

"मैं थक चुका हूं लोगो के दिलो में एक दूसरे के लिए नफरत देखकर, दुनिया के दर्द को रोज़ रोज़ महसूस करके थक चुका हूँ मैं । बहुत ही ज्यादा दर्द है यहाँ । ये दर्द कांच के टुकड़ों की तरह दिमाग मे चुभता रहता है हमेशा"

एमपथ होने के दर्द को जॉन ने बखूबी जिया हैं । वो मूवी में बार बार रोता हुआ नज़र आता हैं ।
इस दुनिया मे जो इंसान दुसरो के दुःख दर्द को महसूस करने लग जाएं, ये दुनिया उसके लिए नरक बन जाती है क्योंकि हर जगह दुःख ही दुःख है । इतना दुःख की एमपथ अपना सामान्य जीवन जीना भूल जाते हैं । टॉक्सिक इंसान इनके इस नेचर का फायदा उठाने से बिल्कुल भी नही चूकते । हमको भी आत्मनिरीक्षण की सख्त जरूरत है कि हम किन इंसानों की श्रेणी में आते हैं। एमपथ होना तो बहुत मुश्किल है, लेकिन सिम्पथ तक भी पहुँच जाएं, तो काम चल जाएगा।

एमपथ इंसान ही इंसान होने की परिभाषा को पूरा करते हुए नज़र आते है, बाकी सब तो महज चोला पहने हुए है नाम की इंसानियत का । आज सभी जगह नफरतो का बोलबाला हैं । एमपथ इंसानों की खुराक मोहब्बत हैं । कैसे सर्वाइव कर पाएंगे ऐसे इंसान । इनके लिए मोहब्बत बचा के रखने की जरूरत हैं।

मूवी के अंत को अगर आप समझ गए तो पायंगे की मूवी में पॉल सोचता है कि मौत से उसका दर्द खत्म हो जाएगा, लेकिन शायद ऐसा नही है । मौत तो एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन का बदलना मात्र हैं । आवागमन का सफर हमेशा जारी रहता हैं। लेकिन यह कहा जा सकता है कि आवागमन के इस सफर में एमपथ श्रेणी में दाखिल होने का मतलब यही है कि आपका सफर कामयाबी की और हैं । आपको चुन लिया गया हैं कुदरत की तरफ से ।
इसको समझने की जरूरत हैं । 🥰

शुक्रिया 🦋

Movie : The Green Mile (1999)
Audio : Hindi & English
Availability : Prime Video

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