गिल्गमिश क्या है?
आज 4000 साल पुराने मेसोपोटामिया के एक महा काव्य का ज़िक्र कर लेते हैं जिसका नाम है "गिलगमिश"!
इलियाड की तरह यह बहुत सी कहानियों का संग्रह है,जिसकी बारह पत्थर पर लिखी शिलाऐं
अशुरबनिपाल जो असीरिया का राजा था,उसकी बनवाई हुई "नीनवेह" की लाइब्रेरी में मौजूद थीं, अब यह ब्रिटिश म्यूजियम में रखी हुई हैं, निनवेह पर आज इराक़ का शहर मूसल आबाद है!
गीलगमिश एक खयाली किरदार है जो सूमेरिया के उरुक का राजा है,वह बहुत मज़बूत,बहादुर और शक्तिशाली है,उसकी गॉड मदर "अरुरा"ने मिट्टी ले कर एक पुतला बनाया ,उस पर थूका और वह ज़िंदा हो गया,वह पुतला है "एनगुदू" जो आधा इंसान है आधा जानवर !!
गिलगामिश और एंगुदू फिर साथ साथ रहते हैं और बहुत सी मुहिम पर जीत हासिल करते हैं
इस कहानी में वह कभी उदास हो रहे हैं कभी,घमंड कर रहे हैं,कभी लड़ रहे हैं कभी दोस्ती कर रहे हैं!
इन शिला लेखों में ज़िक्र है एक सैलाब का जिस में सब जानवर इंसान बह गए थे!!
एक जगह गीलगामिश एक देवी से पूछ रहा है"ज़िन्दगी का,मुहब्बत का क्या मतलब है?क्या मैं सही हूं?"
देवी सिदुरी कहती है के" ज़िन्दगी की छोटी छोटी खुशियों की एहमियत को समझो जैसे मुहब्बत करने वालों का साथ,अच्छा खाना और साफ़ कपड़े" !! चार हज़ार साल पहले का ज्ञान!!!
सच में कुछ विचार कभी नहीं मरते,नस्ल दर नस्ल आगे बढ़ते जाते हैं कुछ बदलाव के साथ !!
इंसानी हिस्ट्री ऐसे कितने ही वाक़िआत से भरी पड़ी है जिन में लम्हों का असर सदियों पर पड़ा है ,ऐसा ही ऐक वाक़िआ है 586 B.C-516 B.C यानी तकरीबन सत्तर सालों तक यहूदियों का बेबीलोन में कैदी या असीर बन कर रहना!!! मेसोपोटामिया आज के इराक़ के चारों तरफ़ का वह इलाका था जहां कई तहज़ीब उभरीं और ख़त्म हुईं ,अपने विचार ,अपनी लोक कथाएं ,अपने धार्मिक तंत्र मंत्र छोड़ कर!!
बेबीलोनिया भी उसी इलाक़े की तहजीब थी जो अकेडियन और सुमेरियन तहज़ीबों से मिल कर बनी थी,सुमेरिया का हुक्मरान गुज़रा था हम्मू राबी जिसने 2123 B.c-2081B.C वह क़ानून दिए थे जो वक़्त से बहुत आगे थे,उसी इलाक़े की कथा थी"गिलगमिश" की !! वहां और भी विचार थे जो शिलालेख पर लिखे हुए थे या लोगों की जबानों पर थे!
इसी इलाक़े में एक बादशाह गुज़रा "नबू कद नज़र" 605 BC - 562 BC तक, उस ने597 BC में मिस्र को फतह किया, फिर जेरुसलेम जो कई सालों से बेबीलोन के अंडर में था, वहां की बगावत ख़त्म की,जब इस इलाक़े में फिर से बगावत हुई थी तो नबु कद नज़र खुद एक बड़ी फौज ले कर वहां गया और ईंट से ईंट बजा दी ,उनका बड़ा आलीशान इबादतखाना जो सुलेमान बादशाह ने बनवाया नेस्तो नाबूद कर दिया,उस में रखा सब यादगार समान तबाह कर दिया...
उसने तकरीबन चालीस हज़ार ऐसे लोगों लोगों को बंदी बनाया जो मंदिर के पुजारी थे,आरिस्ट थे,अलग अलग कला के माहिर थे,अपने एरिया के बुद्धि जीवी थे,यानी सब ख़ास लोगों को अपने साथ बेबीलोन ले आया,आम लोगों को वहीं छोड़ दिया,यह ख़ास लोग सत्तर साल तक बेबीलोन में रहे ,उन से घुले मिले नहीं,आपस में ही शादी की,अपनी रिवायतों और धर्म को वैसा ही रखा लेकिन यहां उन्हें खज़ाना मिला नए इल्म का,नई लोक कथाओं का , नए विचारों का,वह सब कुछ जमा करते रहे अपनी ज़बान में!!
562 BC में नबुकाद नजर के मरने के बाद बेबीलोन में कोई भी ताकतवर हुकमरा ना आया!! 516 B C में ईरान से सईंरस की फौज अाई ,बेबीलोन को जीता और इन कैदियों को उनके घर तक पहुंचाया,उनका मंदिर फिर से बनवाया!!
जो लौट कर गए थे पुजारी और पुरोहित वह अपने साथ इल्म का खज़ाना ले कर गए थे इस सब का नतीजा निकला "ओल्ड टेस्टामेंट" के पांच शुरू के चैप्टर्स,सात सौ साल बाद यहीं से निकली "न्यू टेस्टामेंट" और फिर तकरीबन अगले छै सौ साल बाद यह हिस्सा बने इस्लामिक कल्चर का !!
सत्तर साल की कैप्तिविटी का असर आज तक है !!
विचार कभी नहीं मरते बस अपना रूप बदल लेते हैं वक़्त के हिसाब से!!
Post a Comment