दुनिया की सबसे बड़ी नदी कौन सी है?
दुनिया की सबसे बड़ी नदी कौन सी है?
गूगल पर आप इसका जवाब खोजेंगे तो जवाब मिलेगा अमेज़न। लेकिन अगर मैं कहूँ कि ये सच नहीं है, दुनिया में इससे भी बड़ी एक नदी मौजूद है? और क्या हो कि अगर मैं कहूँ कि वो नदी आसमान में है? आश्चर्य?
अमेज़न वर्षा वन दक्षिणी अमेरिका के लगभग 40% भू भाग को कवर करते हैं जिसमें लगभग 1000 अरब पेड़ हैं जो कि पेड़ों से बनने वाली दुनिया की 20% ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं। यही कारण है कि इन जंगलों को दुनिया के फेफड़ों की उपमा दी गई है।
अमेज़न नदी और उसकी सहायक धाराएँ इन्हीं जंगलों के बीच से होकर निकलती है और प्रतिदिन लगभग 17 अरब टन पानी को ढोकर खाड़ी में गिराती है जो कि धरती पर मौजूद किसी भी नदी की तुलना में सबसे ज्यादा है। लेकिन एक इससे भी बड़ी नदी है जो इस वर्षा वन के ठीक ऊपर आसमान में मौजूद है और प्रतिदिन इससे भी कहीं ज्यादा पानी को ढोती है।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiWaxdI-NSa0EE87CGwqrBhdlHwe0IEIfeSIbZBISrbSAufDgg5pD-yt-u8kZ5h4jNS3H49hclDwveadyn6OhxfDIRZNW0VeAxICD32l5VlRVuqHzKZGq2jO3gT_U9b6kuvhvRXRd0dgJc/w640-h212/Mirov+Sliding.png)
लेकिन इतना सारा पानी आता कहाँ से है? जवाब है पेड़ों से। पेड़ फोटोसिन्थेसिस के दौरान वातावरण से कार्बनडाईऑक्साइड गैस ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन के साथ साथ काफी सारा पानी भी वाष्प के रूप में उत्सर्जित करते हैं।
अमेज़न वर्षा वन में स्थित एक पूर्ण विकसित पेड़ एक दिन में लगभग 1000 लीटर पानी हवा में छोड़ देता है। और पूरे अमेज़न जंगल में स्थित पेड़ों की बात करें तो ये लगभग 20 अरब टन पानी हवा में छोड़ देते हैं। अगर इतने पानी का हम यांत्रिक तरीके से वाष्पीकरण करना चाहें तो इसके लिए जितनी उर्जा की आवश्कता होगी वो चीन जैसे बड़े देश की उर्जा खपत से भी कई गुना ज्यादा होगी।
लेकिन ये सारा काम पेड़ सूर्य की उर्जा का उपयोग कर मुफ्त में करते हैं। पेड़ों से लगातार होता ये वाष्पोत्सर्जन आसमान में एक नदी की रचना करता है जो समुद्रतट से एंडीज पर्वतश्रृंखला की ओर बहती है और लगातार बारिश के रूप में इस वर्षा वन को सींचती है।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgmzW449b6lZxbF2Kv3Maa3aOhWrFQe620nvpAt8pam2QiiCRQgkabbKGfc6lh-0Gwecmfpjt0GkB3CsJ8KAHtGdbx1DAnGtuB19GK5tfm0o5ZzKfwG-jsjo1MuojheS-rE8TEpUL8c6_s/w640-h212/Slide+for+Junior+GIgolo.png)
लेकिन बारिश के लिए वातावरण में नमी का होना ही पर्याप्त नहीं होता। दुनिया के कई सूखे स्थानों की हवा में नमी होने के बावजूद भी वो साल भर बारिश के लिए तरसते हैं। असल में बारिश के लिए हवा में मौजूद नमी का संघनित होना जरुरी है।
लेकिन वातावरण में वाष्प के रूप में मौजूद छोटी छोटी बूंदें अपने आप संघनित नहीं हो सकतीं। इसके लिए इनको एक माध्यम चाहिए जो कि इन छोटी बूंदों को अपने आस पास जमा कर ले ताकि एक बड़ी और भारी बूंद का निर्माण हो सके, जो अपने वजन के कारण हवाई यात्रा छोड़ सीधे जमीन का रुख करे।
अमूमन वातावरण में मौजूद अशुद्धियाँ डस्ट पार्टिकल, पराग कण इत्यादि ये काम करते हैं लेकिन अमेज़न जंगलों के पास इसका भी अपना सिस्टम है। पेड़ वातावरण में कुछ ऐसे रासायनिक तत्वों का उत्सर्जन भी करते रहते हैं जिनके माइक्रोस्कोपिक पार्टिकल वातावरण में मौजूद पानी के अणुओं को एक चुम्बक की तरह खुद से बाँध लेते हैं जो मूसलाधार बरिश के रूप में पुनः धरती पर गिरते हैं।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhyPsADu6LdfAB8urwfgWiNYgwaODsqDAvy0wFOS3OcWlFpnXUKY6b09aFOfFQcFqAzlyBN4oPUQ4OOcIFI7fEtd7hIbG8LE-K8rp5EmZQHLTgLt3g7b6LqBBYgfvH__ZRKS8BO_QjnsTc/w640-h212/Survivores+of+the+Earth+Sliding.png)
यही नहीं पेड़ जरुरत के मुताबिक इनका उतर्जन करते हैं। यानी जब धरती में नमी कम होती है तो इन पार्टिकल्स का उत्सर्जन भी बढ़ जाता है। अमेज़न जंगलों का ये रेन सिस्टम अपने आप में अनोखा है। जो कि इस वर्षा वन के फलने फूलने का कारण भी है।
अमेज़न जंगल के उपरी वातावरण की हवा में लगभग 300 पार्टिकल प्रति घन सेंटीमीटर मौजूद होते हैं जो इसे दुनिया की कुछ सबसे साफ़ हवाओं में शुमार करते हैं। औद्योगिक क्रांति से पहले दुनिया में लगभग सभी स्थानों की हवा की क्वालिटी इसी के आस पास थी।
लेकिन आज प्रदुषण के कारण साफ़ कही जाने वाली हवा में भी लगभग 2000 पार्टिकल प्रति घन सेंटीमीटर मौजूद होते हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि वातावरण में ज्यादा पार्टिकल होने का मतलब ज्यादा बारिश है तो आप गलत हैं। हवा में ज्यादा पार्टिकल होने के कारण पानी के कण ज्यादा जगहों पर बंट जाते हैं और ज्यादातर पार्टिकल इतने भारी नहीं हो पाते कि वे बूँद के रूप में बरस सकें।
यही कारण है वनों की अंधाधुंध कटाई और प्रदुषण से धीरे धीरे सालाना बारिश में कमी और बार बार सूखे की स्थिति उत्पन्न होने लगती है। आमतौर पर हमें वर्षा चक्र में समुद्र, सूर्य, जलवाष, पहाड़, नदियों के बारे में ही पढ़ाया जाता है धरती पर मौजूद हरे रंग के इस महत्वपूर्ण जैविक घटक की अनदेखी की जाती है, जो कि दिन रात बिना कोई उर्जा मेंटेनेंस लिए हमें वो सब देता है जिसके बिना इस धरती पर हम और तमाम जीवन पल्लवित नहीं हो सकता।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgsqMZcwMBIGKzNLW-fo9tgkKd8_VriqMWobb8EBGgCf8AJlLRhhseByTNW-egBUfuvVbs_3j91NBhx7DFC9w7fyiRwopMwD7vCEUK9QJOqmTqUwFnTcXiGRtJeOJ2Khtc47EG_bQFLoD0/w640-h212/CRN+Sliding.png)
Post a Comment