मज़दक और मज़दोकियत

 

कौन था मज़दक और क्या था मजदोकियत धर्म 

मानी के क़त्ल के दो सौ साल बाद पांचवीं सदी में ईरान में एक फिलॉसफर "मज़दक" हुए थे,उनका ज़िक्र किए बिना ईरान का ज़िक्र ख़त्म नहीं किया जा सकता!

उन्होंने एक मज़हब की बुनियाद रखी थी"मजदोकियत"!!

मज़दक का कहना था के कायनात तीन चीज़ों से मिल कर बनी है,आग ,पानी और मिट्टी!!

इन तीनों से मिल कर ख़ैर और शर बने हैं,ख़ैर रोशनी है ,शर अंधेरा है !

ख़ैर का बादशाह ऊपर आसमान में तख्त पर बैठा है,चार ताक़त उस के दरबार में रहती हैं, तमीज़,याददाश्त,अक्ल़ और सुरूर!!

ख़ुदा का दरबार उस को बिल्कुल सासानी बादशाह का दरबार लगता था!

वह जंग और खून बहाने के ख़िलाफ़ था!

उसका मानना था सब इंसान बराबर हैं!

किसी को किसी पर बरतरी हासिल नहीं!

हर उस चीज़ में बराबरी लानी चाहिए जिस से असमानता जन्म लेती है!!

जायदाद और औरत की वजह से ही असमानता फैलती है ,इन दोनों को निजी मिल्कियत से आज़ाद होना चाहिए!!

तमाम लोगों को जायदाद और हर औरत से फ़ायदा उठाने का हक हासिल हो!!

लोग उसके मज़हब को मानने लगे!


सासानी शहंशाह" क़ीबाद" ने भी मान लिया!!

उसके मानने की ख़ास वजह यह थी के उस के दौर तक जरतुष्टी पुरोहित जो "मैगी" कहलाते थे इतने ताकत वर हो चुके थे के बादशाह तक उन के हाथ में कठ पुतली बन चुका था ,सब उनके जादू और श्राप से डरते थे!!

बादशाह ने नए मज़हब को अपना कर इन से आज़ाद होना चाहा!

लेकिन फिर हिस्ट्री ने अपने को दोहराया!!

कीबाद के ख़िलाफ़ उसका भाई खड़ा कर दिया गया और क़ीबाद कैद कर दिया गया!

कीबाद जेल से फरार हो गया!

किसी तरह आस पास वाले हुक्मरानों की मदद से उसने अपना तख्त फिर हासिल किया!

लेकिन अब वह पुराना मज़दीकी ना रहा था, उस से दूर जा चुका था!

उसने किसानों और गरीबों को दी हुई ज़मीनें वापस ले लीं,अमीरों और मैगीज़ के अधिकार बढ़ा दिए गए!उनकी जायदाद वापस कर दी गई!!

फिर सवाल जवाब की महफ़िल करवाई गई 'मज़दक को सब मैगीज के सामने जवाब देने थे!
यह महफ़िल " मनाजीरा" कहलाती थीं!!

मज़दक हार गया!!

उसी वक़्त मज़दक को क़त्ल कर दिया गया!

यह 528 ya 529 A D में हुआ था!!

दो साल बाद जब" खुसरो नौशेरवां ",जो कीबद का छोटा बेटा था,अपने बड़े भाई को हरा कर तख्त पर बैठा!!

उस ने चुन चुन कर मजदिकियों का क़त्ल करवाया!!

उनकी किताबें जलवा दी!!

उनकी ज़मीन ,मकान ले लिए!! मज़दक की लिखी हुई कई किताबें थी ,सब नष्ट कर दीं!!

इस क़त्ल ए आम में नौ लाख ईरानी मारे गए!

यूं ख़त्म हुआ मज़दीकी मज़हब!!

मगर विचार ज़िंदा रहा!!

Written by Tasweer Naqvi

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