इस्राइल देश और सिक्स डे वॉर 2

 

क्या रिजल्ट निकला सिक्स दे वार का?

भोगोलिक आधार पर वर्ष 1948 से पहले इस्राइल नाम का कोई देश इस धरती पर मौजूद नहीं था। 72 साल का इसराइल क्षेत्रफल के मामले में भारत के मणिपुर से भी छोटा है...आबादी भी 86 लाख के आसपास है...खनिज संपदा के मामले में भी इसराइल भारत के सामने कहीं नही टिकता...इसके बावजूद इसराइल का शुमार दुनिया के उन देशों में है, जिनकी तकनीकी और सैन्य क्षमता की मिसाल दुनिया भर में दी जाती है

एक दिन विश्व के भूगोल पर इस देश का नक्शा अस्तित्व में आया और देखते ही देखते ये सैन्य ताकत व तकनीक के मामले में दुनिया भर में अव्वल बन गया. जी हां...यहूदी बाहुल्य इजराइल, जिसकी प्रमुख भाषा हिब्रू है, सीरिया और जॉर्डन के साथ भू-मध्य सागर से घिरे हुए इस खूबसूरत इजराइल का जन्म विश्व पटल पर कैसे हुआ ?

आइये जानते है।

आपने इससे पहले पढ़ा है कि 1917 से पहले फिलिस्तीन (वर्तमान इसराइल) पर सिर्फ अरबों का अधिकार था। इजराइल का गठन संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव तथा ब्रिटेन के League of Nation के जनमत से हुआ था।

यहूदियों के लिए एक अलग देश की मांग यूँ तो बहुत पहले से हो रही थी लेकिन दुसरे विश्वयुद्ध में यहूदियों के ऊपर जो अत्याचार हुए थे विशेष तौर पर हिटलर द्वारा इसके फलस्वरूप यहूदियों के लिए अलग राज्य के मांग को अंतरराष्ट्रीय दलों का समर्थन मिला।

यहूदियों को तो यूएन का फैसला मंज़ूर था, लेकिन अरबों ने इसको मानने से इंकार कर दिया.इसके बाद अरबों और यहूदियों में लगातार दंगे होते रहे, वहां लोगों की हत्याएं की गईं. ऐसे में हजारों फ़िलिस्तीनियों को लेबनान और मिस्र जैसे अरब देशों की ओर भागना पड़ा

इसी बीच ब्रिटेन ने अपनी फौज फिलिस्तीन की धरती से वापस अपने देश बुला लीं.इस स्थिति का लाभ उठाते हुए यहूदियों ने अपने को एक स्वतंत्र देश ‘इजराइल’ के रूप में घोषित कर दिया.लेकिन अरब देश अरब भूमि पर किसी यहूदी देश के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करना चाहते थे

ऐसे में इस नए देश को खत्म करने के लिए अगले ही दिन अरब देशों (मिस्र, जॉर्डन, सीरिया, लेबनान और इराक) ने एक साथ मिलकर इजराइल पर हमला कर दिया.इसे ‘1948 का युद्ध’ भी कहा जाता है और यहीं से अरब- इज़राइल युद्ध की शुरुआत होती है.यह युद्ध शुरूआत में अरबों के पक्ष में झुक रहा था, लेकिन दोनों ही पक्षों को बराबर भारी नुकसान हो रहा था

हालांकि दोनों पक्ष जून 1948 को एक युद्ध विराम के लिए तैयार हो गए. इस युद्ध विराम ने ही इजराइल को युद्ध में वापस आने का मौका दे दिया.इजराइल ने सैन्य तैयारी कर खुद को मजबूत स्थिति में खड़ा कर लिया। इस युद्ध में इजराइल की विजय हुई।

इसराइल देश के अस्तित्व में आने के बाद लाखों की संख्या में फ़लस्तीनी अरबों को लड़ाई के दौरान पलायन करना पड़ा था. यहीं से फ़लस्तीनी शरणार्थी समस्या की शुरुआत हुई थी जो आज तक जारी है

अरब देशों के क़रीब छह लाख यहूदी शरणार्थी और विश्व युद्ध के दौरान यूरोप में जीवित बचे ढाई लाख लोग इसराइल की स्थापना के कुछ सालों में वहां जाकर बसे. इससे इसराइल में यहूदी लोगों की संख्या दोगुनी से ज़्यादा हो गई.नाज़ियों द्वारा 60 लाख यहूदियों के नरसंहार के कुछ साल बाद पवित्र भूमि पर यहूदी राज्य की स्थापना का सपना पूरा हो गया था

फ़लस्तीनियों ने साल 1948 की इस घटना को 'अल-नकबा' या 'विनाश' का नाम दिया. साढ़े सात लाख फ़लस्तीनियों को उनकी ज़मीन से बेदखल करके इसराइल अस्तित्व में गया और उन फ़लस्तीनियों को कभी लौटने नहीं दिया गया.

इजराइल ने युद्ध मे अरब को हराया तो अरब इस हार से अभी तक उबर नहीं पाए थे. इसराइल यह कभी भूल नहीं सका कि उसके पड़ोसी देशों ने उसे जड़ से मिटाने की कोशिश की थी. दोनों ही पक्ष ये अच्छी तरह से जानते थे कि अगली लड़ाई अभी या बाद में कभी न कभी ज़रूर होगी। इसकी शुरुआत जल्द ही होने वाली वाली थी।

1950 और 1960 के दशकों में शीत युद्ध ने अविश्वास और तनाव के माहौल में आग में घी डालने का काम किया.सोवियत संघ ने मिस्र को आधुनिक लड़ाकू विमान दिए. इसराइल की अमेरिका के साथ क़रीबी दोस्ती थी, लेकिन यह तब तक अमरीकी रक्षा सहायता प्राप्त करने वाला सबसे बड़ा देश नहीं बना था

1960 में इसराइल ने फ़्रांस से विमान और ब्रिटेन से टैंक हासिल किए.1948 के बाद इसराइल ने अपनी स्थिति मज़बूत करने के लिए अथक मेहनत की. उसने दस लाख से ज़्यादा यहूदी आप्रवासियों को आबाद किया. इसराइल आने वालों के लिए सेना में सेवा देना एक अनिवार्य शर्त थी

इसराइल ने जल्दी ही एक घातक फ़ौज तैयार कर ली और 1967 में वह परमाणु हथियार हासिल करने के क़रीब पहुंच गया.इसराइल और इसके पड़ोसियों के बीच बढ़ते तनाव का अंत युद्ध के रूप में हुआ. यह युद्ध 5 जून से 11 जून 1967 तक चला

और इस दौरान मध्य पूर्व संघर्ष का स्वरूप बदल गया. इसराइल ने मिस्र को गाज़ा से, सीरिया को गोलन पहाड़ियों से और जॉर्डन को पश्चिमी तट और पूर्वी यरुशलम से धकेल दिया. इसके कारण पाँच लाख और फ़लस्तीनी बेघरबार हो गए.अरब-इस्राएल युद्ध बस छह दिन के लिए चला, लेकिन इसने अरब दुनिया में इस्राएल को ताकतवर देश के तौर पर स्थापित किया.

14 मई, 1967 को मिस्र को सूचना मिली कि इजराइल सीरिया वाले हिस्से में अवैध निर्माण कर रहा है. यहां तक मिस्र से ये कहा गया कि इजरायल ने अपने सैनिक बॉर्डर पर तैनात भी कर दिए है। ये खबर सोवियत रूस ने मिस्र को दी।

अगले ही दिन मिस्र के शासक जमाल अब्देल नासिर ने सिनाई वाले हिस्से यानी जिस हिस्से से मिस्र और इजराइल दोनों जुड़े हुए थे, की ओर भारी संख्या में सेना की नियुक्ति कर दी.हालांकि वह इजराइल पर हमला करना नहीं चाहते थे।

आप जानते है कि मिस्र की 1948 में इजराइल के हाथों करारी हार हुई थी, बावजूद इसके स्वेज नहर के राष्ट्रीयकरण के बाद जमाल अब्देल नासिर पूरे अरब जगत में एक हीरो की तरह उभरे.अपनी फ़ौज की ताकत के अभिमान में मदमस्त नासिर ने सिनाई क्षेत्र से संयुक्त राष्ट्र से उसकी शांति सेना को हटाने का आदेश दे दिया और भारी संख्या में अपनी फौजें इजराइली सीमा पर तैनात कर दीं

इतना ही नहीं नासिर ने लाल सागर में स्थित तिरान जलडमरूमध्य को भी ब्लाॅक कर दिया, जहां से इजराइल के लिए व्यापारिक जहाज़ों का आना-जाना होता था.मिस्र और अरब के लोग नासिर के इस काम को अपनी जीत समझकर जश्न मनाने लगे, लेकिन यह ख़ुशी कुछ ही घंटों में हवा हाे गई

नासिर ने जैसा सोचा था कि इसके बाद इजराइल डरकर सीरिया क्षेत्र में अतिक्रमण बंद कर देगा, लेकिन हुआ इसका बिल्कुल उलट. इजराइल की मीडिया ने इसे जर्मन के नाज़ियों की तरह यहूदियों पर हुए अत्याचारों की तरह पेश किया।

इस घटना ने यहूदियों को यहूदियों पर हुए नरसंहार की याद दिला दी और इसी के साथ पूरे इजराइल में नासिर विरोधी भावनाएं उमड़ पड़ीं.उधर इजराइल की वायुसेना भी संगठित हो चुकी थी और उसने अगली सुबह ही सिनाई प्रायद्वीप में मिस्र की वायुसेना को ध्वस्त कर दिया, जिसे ऑपरेशन फोकस कहा गया

सवेरे सवेरे इस्राएली विमानों ने काहिरा के नजदीक और स्वेज के रेगिस्तान में स्थित मिस्र के हवाई सैन्य अड्डों पर बम बरसाये. चंद घंटों के भीतर मिस्र के लगभग सभी विमान धराशायी हो चुके थे. वायुक्षेत्र पर नियंत्रण कर इस्राएल ने लगभग पहले दिन ही इस लड़ाई को जीत लिया था

स्थानीय समय के अनुसार तेल अवीव से सवेरे 7.24 बजे खबर आयी कि मिस्र के विमानों और टैंकों ने इस्राएल पर हमला कर दिया है. इस्राएल के दक्षिणी हिस्से में भारी लड़ाई की रिपोर्टें मिलने लगीं. इस्राएली वायुसेना के विमान मिस्र के वायुक्षेत्र में घुस गये। उन्होंने काहिरा पर हमला किया और फिर दुश्मन के विमानों के पीछे गये.” काहिरा में कई धमाके हुए और शहर सायरनों की आवाजों से गूंज उठा

काहिरा का एयरपोर्ट बंद कर दिया गया और देश में इमरजेंसी लग गयी.सीरियाई रेडियो से भी यह खबर चली और 10 बजे सीरिया ने कहा कि उसके विमानों ने इस्राएली ठिकानों बम गिराये हैं. जॉर्डन ने भी मार्शल लॉ लगा दिया और इस्राएल के खिलाफ युद्ध की घोषणा करने से पहले अपनी सेना को मिस्र की कमांड में देने का फैसला किया. इराक, कुवैत, सूडान, अल्जीरिया, यमन और फिर सऊदी अरब भी मिस्र के साथ खड़े दिखे.

येरुशलेम में इस्राएली और जॉर्डेनियन इलाकों में सड़कों पर लड़ाइयां छिड़ गयीं और ये युद्ध जल्दी ही जॉर्डन और सीरिया से लगने वाली इस्राएली सीमाओं तक पहुंच गया. इस्राएल-जॉर्डन के मोर्चे से भारी लड़ाई की खबर मिली

सीरियाई विमानों ने तटीय शहर हैफा को निशाना बनाया जबकि इस्राएलियों ने कई हमलों के जरिये दमिश्क के एयरपोर्ट को निशाना बनाया.मिस्र और इस्राएल, दोनों को इस लड़ाई में अपनी अपनी जीत का भरोसा था. अरब देशों में गजब का उत्साह था. लेकिन विश्व नेता परेशान थे

पोप पॉल छठे ने कहा कि येरुशलेम को मुक्त शहर घोषित किया जाए. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक हुई. अमेरिकी राष्ट्रपति लिडंन बी जॉनसन ने सभी पक्षों से लड़ाई तुरंत रोकने को कहा.इस्राएली सैनिकों ने गाजा के सरहदी शहर और वहां मौजूद सभी मिस्री और फलस्तीनी बलों पर कब्जा कर लिया

और इस तरह इस्राएल ने अपनी पश्चिमी सरहद को सुरक्षित कर लिया. उसकी सेनाएं दक्षिणी हिस्से में मिस्र की सेना के साथ लोहा ले रही थी.आधी रात को इस्राएल ने कहा कि उसने मिस्र की वायुसेना को तबाह कर दिया है. लड़ाई के पहले ही दिन 400 लड़ाकू विमान मारे गिराये गये. इनमें मिस्र के 300 विमान जबकि सीरिया के 50 विमान शामिल थे

इस तरह लड़ाई के पहले ही दिन इस्राएल ने अपनी पकड़ मजबूत बना ली। रात को इस्राएली संसद नेसेट की बैठक हुई और इस्राएली प्रधानमंत्री ने बताया कि सारी लड़ाई मिस्र में और सिनाई प्रायद्वीप में चल रही है

उन्होंने बताया कि मिस्र, जॉर्डन और सीरिया की सेनाओं को गंभीर नुकसान पहुंचाया गया है.इसके तुरंत बाद जॉर्डन, सीरिया, ईराक अपनी वायु सेनाओं को तैनात करने की तैयारी करने लगे, लेकिन इजराइल ने बिना किसी देरी के उसी दिन तीनों देशों की वायुसेना पर हमला कर उसे भारी क्षति पहुंचाई

इस तरह से मची तबाही के बाद इजराइल ने जॉर्डन के प्रशासन वाले ‘पूर्वी जेरुशलम’ पर अपना अधिकार कर लिया. इस युद्ध के चौथे ही दिन बाद इजराइल ने गाजा पट्टी और सिनाई प्रायद्वीप पर भी अपना अधिकार कर लिया

और 5वें दिन इजराइल ने सीरिया के प्रशासन वाले गोलन हाइट्स पर भी कब्ज़ा कर लिया.इस तरह 6 दिन के अंदर ही यह युद्ध समाप्त हो गया.11 जून को युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर हुए और लड़ाई खत्म हुई. लेकिन इस जीत से इस्राएल ने दुनिया को हैरान कर दिया. इससे जहां इस्राएली लोगों का मनोबल बढ़ा, वहीं अंतरराष्ट्रीय जगत में उनकी प्रतिष्ठा में भी इजाफा हुआ.

अन्ततः छह दिन में इस्राएल की ओर से मारे गए सैनिकों की संख्या जहां एक हजार से कम थी वहीं अरब देशों के लगभग 20 हजार सैनिक मारे गए.लड़ाई के दौरान इस्राएल ने मिस्र से गाजा पट्टी और सिनाई प्रायद्वीप, जॉर्डन से वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलेम और सीरिया से गोलन हाइट की पहाड़ियों को छीन लिया था.इसके बाद की कहानी जल्द ही अगले पार्ट में।

क्रमशः

इस लेख का अगला भाग पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें


No comments