क्वारंटीन और ब्लैकडैथ प्लेग

 

क्या है क्वारंटीन का अर्थ और इसका प्लेग से क्या रिश्ता था?

इन दिनों कोरोना वायरस के चलते क्वारंटीन (Quarantine) शब्द सुर्ख़ियों में हैं. मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर हर किसी की ज़ुबान पर यही शब्द है. हालांकि, अब भी कई लोग ऐसे हैं जिन्हें इसका मतलब नहीं मालूम. क्वारंटीन (Quarantine) शब्द भले ही वर्तमान समय का सबसे प्रचलित शब्द बन गया हो, लेकिन इसका इतिहास वर्षों पुराना है.

हिप्पोक्रेट्स की बुक ऑफ एपिडमिक्स (412 ईपू) में शीत के साथ सांस की एक रहस्यमय बीमारी फैलने का विस्तार से वर्णन किया। मानव सभ्यता के इतिहास में यह पहली इंफ्लुएंज़ा महामारी कही जाती है। यह वर्णन इसलिए भी महत्वपूर्ण था कि उस दौर में अंधविश्वास ज्यादा हावी थे और रोगों को दैवीय श्राप या सजा समझा जाता था। हिप्पोक्रेट्स ने पहली बार रोगों का संबंध मौसम और खान-पान में बदलावों से जोड़ा था।

आप सोच रहे होंगे कि ढाई हज़ार साल पुरानी फ्लू का यह जिक्र आज क्या मायने रखता है? विज्ञान और टैक्नोलॉजी के क्षेत्रों में बेइंतहा प्रगति कर चुकने के बाद, इक्कीसवीं सदी के संक्रामक रोग के संदर्भ समझने के लिए हजारों साल पीछे लौटने का सबब क्या हो सकता है?

दरअसल, हिप्पोक्रेट्स के महामारी वर्णन से हम समझ पाते हैं कि वे जीवाणु जो हजारों साल पहले इंसानी सभ्यता को झकझोर रहे थे, पूरी तरह कभी नष्ट हुए ही नहीं। वे सोए पड़े रहे थे प्रकृति की तहों में, चुप्पी ओढ़े रहे थे।

और जब-जब मौका लगा, दुनिया पर कहर बरपा करने से बाज नहीं आए! जो आज भी भयानक महामारी का कारण बन रहे है...ब्लैक डेथ(1348)... कोलेरा(1820)... स्पेनिश फ्लू(1918)...सार्स(2003)...इबोला(2014)...
कोरोना(2019-20)...।
क्वारंटीन (Quarantine) शब्द दरअसल क्वारंटेना (Quarantena) से आया है, जो वेनशियन भाषा का शब्द है. इसका शाब्दिक अर्थ होता है 40 दिन. दरअसल, सन 1348-1359 के दौरान प्लेग के चलते यूरोप की 30 फ़ीसदी आबादी इसका शिकार हो गई थी.

14वीं शताब्दी में यूरोप में फैले प्लेग से वेनिस जैसे तटीय शहरों को बचाने के लिए संक्रमित बन्दरगाहों से वहाँ पहुँचने वाले हर जहाज को शहर की धरती छूने से पहले 40 दिन तक पानी में ही लंगर डालकर खड़े रहना पड़ता था यानी उन्हें अपनी यात्रा 40 दिन तक रोकनी पड़ती थी (क्वारंता- जौर्नी: क्वारंता यानी चालीस और जौर्नी यानी यात्रा).धीरे-धीरे इस परिपाटी को क्वारंटीन कहा जाने लगा.

यूरोप आम दिनों की तरह ही खुशनुमा था। कुछ लोग सिसली बंदरगाह पर अपने प्रिय का इंतजार कर रहे थे। यहां कुछ व्यापारिक जहाज लौटकर यूरोप आ रहे थे। परिवार के सदस्‍य जहाजों के बंदरगाह पर एकत्र हो गए थे।
लेकिन उन जहाजों से कोई उतरा नहीं। भीड़ में से जब किसी ने हिम्मत कर के जहाज के अंदर झांका तो नजारा भयावह था। लाशें ही लाशें। लाशों के बीच और नीचे कुछ अधमरे लोगों में आखिरी सांसों की हरकत थी।

दरअसल, जहाज के कप्तान किसी तरह नाविकों को उनके घर तो ले आए थे लेकिन वे सब मुर्दा थे! फिर वो एक दूसरे को फेल गया जिसके कारण 50 लाख लोगों की मौत हो गई

वर्ष 1374 में वेनिस ने एक आदेश निकाला कि जब तक वेनिस की विशेष स्वास्थ्य परिषद, जहाजों और उसके यात्रियों को शहर में आने की अनुमति न दे दे, उन्हें पास के सेन लैजारो द्वीप में ही रहना होगा.

1377 में एक नया कानून बनाया जिसके मुताबिक रागुजा आने वाले हर जहाज और व्यापारियों के काफिले को 30 दिन तक आइसोलेशन में रहना था.
इस कानून में कहा गया था कि हानिकारक इलाकों से आने वाले हर व्यक्ति को मुख्य शहर में प्रवेश करने से पहले खुद को संक्रमणमुक्त बनाने के लिए नजदीकी तट के कस्बे या मकान में 30 दिन बिताने होंगे.

1377 में क्रोएशिया ने अपने यहां पर आने वाले जहाजों और उन पर मौजूद लोगों को एक द्वीप पर 30 दिनों तक अलग रहने का आदेश जारी किया था। पहले 30 दिनों का होता था क्वारंटाइन जिसे उस वक्त ट्रेनटाइन कहा जाता था जब हालात 30 दिन में नहीं सुधरे और संक्रमण का खतरा बढ़ा तो सन 1448 में क्वारंटीन के इस समय को बढ़ाकर 40 दिन का कर दिया गया था.

जब तक ये 30 दिनों तक था तो इसे ट्रेनटाइन कहा जाता था, जब ये 40 दिनों का हुआ तो इसे क्वारंटीन कहा जाने लगा. बस यहीं से ही इस शब्द की उत्पत्ति भी हुई है.

इस दौरान ये भी ध्यान दिया जाता था कि किसी व्यक्ति में प्लेग के लक्षण तो नहीं हैं. 40 दिनों के क्वारंटीन (Quarantine) का असर उस वक्त साफ़ दिखाई दिया था और इससे प्लेग पर काफ़ी हद तक काबू भी पा लिया गया था.

उस समय में प्लेग के रोगी की लगभग 37 दिनों के अंदर मौत हो जाती थी.प्लेग से उस समय यूरोप की 30 प्रतिशत आबादी काल के गाल में समा गई थी। जो आज ये समय कोरोना केे परिपेक्ष्य में 10 से 14 दिनों का है लेकिन फिर भी इसे आज क्वारंटीन ही कहा जाता है।

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