स्पार्टा और एथेंस

कैसे ख़त्म हुआ यूनान से कम्युनिज्म 

प्राचीन यूनान के दो नगर बहुत मशहूर हैं, स्पार्टा और ऐथेन्स!!

स्पारटा में डोरियन कौम रहती थी,यह लोग खेती बाड़ी करते थे,एथेंस में आयुनियन कौम थी ,आगे चल के इसी के नाम पर पूरे इलाक़े का नाम पड़ा ,यूनान!!यह लोग तिजारत में माहिर थे!

जीसस से आठ या नौ सौ साल पहले स्पार्ता का एक ना भूलने वाला शहरी हुआ था "लाई कर्गिज",जब उस का भतीजा हुक्मरान हुआ तो वह उसका सलाह कार बना!

करगीज ने शहरी कानूनों में बहुत बदलाव किए!

फ़ौज की संरचना को बदल दिया!

उस वक़्त का सब से बड़ा मंदिर था "डेल्फी", उसके पुरोहितों को को खुश रखा,वह कर्गीज की तारीफ़ ही करते रहे!!

उसने स्पारटा के सामाजिक ढांचे को बदल कर रख दिया,जिस वक़्त वह सलाहकार बना था , स्पारता की खेती वाली ज़मीन चंद खानदानों के पास थी बाक़ी लोग दूसरों के खेतों में काम करते थे!
कर्गीज़ ने ज़मीनों के उंतालीस बराबर की टुकड़े किए और इन को किसानों में बराबरी से बांट दिया!

उस ने सोने चांदी को " ज़र"की जगह इस्तेमाल पर रोक लगा दी,उसकी जगह लोहे को जर बनाया,यानी सोने चांदी की कीमत बहुत कम कर दी!

उसने सपार्ता के शहरयों के लिए लंगरखानेे बनवाए,सब को अपने अपने एरिया में साथ बैठ कर एक जैसा खाना खाना होता था,हर शहरी को अनाज और दूसरी चीजें फिक्स्ड वक़्त पर लंगर खानों में देनी होती थीं!!
वहा एक काउंसिल होती थी जिस के तीस मेंबर होते थे , साठ साल के ऊपर के लोग ही इस के मेंबर होते थे!

एक शहरी असेम्बली होती थी जिस में तीस साल से ऊपर के सब शहरी शामिल होते थे!!यही लोग काउंसिल के मेंबर चुनते और क़ानून बनाने में सलाह देते,मजिस्ट्रेट और मुखिया का चुनाव करते!!
सब से ख़ास बात यह के सपार्टा के हर बाशिंदे को शहरी नहीं माना जाता था!

सिर्फ डोरियन कौम के लोग ही शहरी होते थे!!

वहां के पुराने बाशिंदे और जंग में जीत कर लाए ग़ुलाम शहरी नहीं माने जाते थे!!

वह दूसरों के खेतों और घरों में बहुत कम उजरत पर काम करते थे!

ग़ुलामों का क़त्ल आम बात थी

साल में एक बार उन की बस्ती पर हमला कर के हिम्मत वाले और सवाल करने वाले ग़ुलाम क़त्ल कर दिए जाते थे!!

लाई करगिज के क़ानून जिन्होंने समाज और अर्थ व्यवस्था पर बहुत असर डाला था ,उनका एक ही मकसद था, अच्छे सिपाही पैदा करना!!

स्पारटा में धीरे धीरे योद्धा शहरयो का असर बढ़ रहा था,उन्होंने पूरी रियासत को छावनी बना दिया था ,हर शख़्स की ज़िन्दगी इन योद्धाओं की जरूरतों को पूरा करने में लग गई!

हर शहरी की तालीम और तरबियत इस अंदाज़ में होने लगी के वह अच्छे योद्धा बन सकें, उनके ज़हन में बस रियासत के कानूनों की हिफाज़त का ख़्याल ही रहता था और कुछ नहीं!!

इस सबका नतीजा यह हुआ के स्पारटा जंग के मैदान जीतता गया,दौलत आती गई ,ग़ुलाम आते गए ,समाज में फिर से वर्ग गहरे होते गए और दो तीन सौ सालों के बाद लाई कर्गिज़ के क़ानून बिल्कुल भुला दिए गए!!

लेकिन 300 B .C में स्पारटा में शाही घराने का एक नौजवान "आगिस" जब रियासत का हुक्मरा बना तो उस ने लाई करगिज़ के क़ानून फिर से नाफिद करने की धुन सवार हो गई,कुछ लोगों ने उसे पहला कम्युनिस्ट शहीद भी लिखा है!!

आगिस ने क़र्ज़ दारों के सब क़र्ज़ माफ़ किए,ज़मीन को उन्नीस हज़ार टुकड़ों में बांट दिया,चार हज़ार पांच सौ टुकड़े स्पारटा के शहरयों को दिए,पंद्रह हजार पुराने बाशिंदों को, उसने ग़ैर मुलकियों को भी ज़मीनें दी!!
पुराने लंगर खाने फिर चालू करवाए,समाज से वर्ग की खाई को फिर पाटने की कोशिश की,अपनी दादी और मां की जायदाद भी रियासत को दे दी!!

रियासत के नौजवानों को तो यह सब अच्छा लगा मगर ऊपर का वर्ग बर्दाश्त ना कर पाया!

उन्होंने काउंसिल, असेंबली ,पुरोहित सब को साथ लिया और नेपच्यून के मंदिर से उस को पकड़ कर बंदी बना लिया, हालांकि मंदिर में सब को पनाह का क़ानून था मगर अपने फायदे के लिए धार्मिक क़ानून भी बदले जा सकते हैं!!

उस को कैद खाने में रखा गया,विशेष अदालत क़ायम हुई, आगीस से अपने सब ऑर्डर वापस लेने को कहा गया, उसके इनकार पर उसे फांसी दे दी गई!!!!

मगर पांच साल बाद जब उसका बेटा क्लोमेंस तख्त पर बैठा तो उसने अपने बाप की पॉलिसी ही अपनाई, वही रास्ता चुना बराबरी का, लेकिन अब की बार अमीर वर्ग इतना तंग आ चुका था कि उन्होंने करीब की रियासत "मकदूनिया"के हुक्मरान जो सिकंदर का बाप था ,उस से राब्ता बनाया और हमले को कहा!!

जंग हुई क्लॉमेंस मारा गया,मकदूनिया रियासत के राजा ने अमीरों को रियासत को सौंपा और आगे बढ़ गया!!

यूं ख़त्म हुआ यूनान से कम्युनिज्म का तजुर्बा!!!!!
Written by Tasweer Naqvi

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