टार्डीग्रेड्स
क्या हैं टार्डीग्रेड्स?
टार्डीग्रेड्स जिसे अक्सर पानी के भालू या काई पिगलेट कहा जाता है, लंबे, प्लंप बॉडी और स्क्रैच-अप सिर के साथ निकट-सूक्ष्म जानवर हैं। अभी अभी कुछ दिनों पहले के न्यूज़ में यह था कि इजरायल ने हजारों की तादाद में टार्डीग्रेड्स को ले जाकर चांद पर छोड़ दिया है।
तो अब सोचने वाली बात है कि चांद पर ना तो पानी है और ना ही पृथ्वी जैसा वायुमंडल फिर क्या यह जानवर वहां अभी जिंदा होंगे या अब तक ये मर चुके होंगे?
रिसर्च में वैज्ञानिकों ने इस बात का दावा किया है कि आठ पैरों वाला ये टार्डीग्रेड तब तक ही जिंदा रह सकता है जब तक धरती पर सूर्य का प्रकाश रहेगा। इसके अलावा इसे विश्व का अनश्वर (नष्ट न होने वाला) घोषित किया गया है।
यह हर जगह पाए जाने वाले जीव हैं। चाहे वह रेतीला मैदान हो, सूखा क्षेत्र हो, समुद्र तल, नदी चाहे समतल मैदान हो। समुद्र, नदी अथवा झील तालाब के 1 लीटर पानी में कम से कम 25000 तक कि संख्या में रहते है।
अब इनकी खासियत क्या है?
दरअसल बात यह है कि ये किसी भी स्थिति में जीवित रह सकते हैं। वैज्ञानिकों ने इन्हे गरम पानी के झरने, हिमालय की चोटी पर से लेकर समुद्र तल तक और ठंडे प्रदेशों (आर्कटिक और अंटार्कटिका) के ठोस बर्फ के नीचे तथा समुद्री तलछटों में दबे पाए है।
यह माना जाता है कि अगर धरती पर कोई एस्ट्रोफिजिकल कारण (गम्मा रे या किसी बड़े उल्कापिंड के गिरने से) से महाविनाश होता है और एक भी जीव ना बचे उस स्थिति में टार्डीग्रेड्स ही ऐसे होंगे तो जीवित बचेंगे।

कुछ टार्डीग्रेड्स ऐसे हैं जो −272°C से लेकर 150°Cतक जीवित (कुछ मिनट के लिए) रह सकते हैं।
समुद्र तल के दवाब के 6 गुना दवाब झेल सकते हैं। वायुमंडलीय दाब का 1200 से लेकर 6000 गुना दाब झेल सकते हैं।
Ionising रेडिएशन जो मनुष्य के लिए जानलेवा है उसका सैकड़ों गुना रेडिएशन झेल सकते हैं ये जीव, और तो और यह वैक्यूम (न्यूनतम दवाब) में भी जीवित रह सकते हैं।
सबसे अचंभित करने वाली बात यह है कि लोग पानी को जीवन मानते हैं उस पानी की अभाव में भी जी सकता है यह जीव। बिना पानी के अभी तक 10 साल तक का प्रमाण मिला है और तो और सामान्य तौर पर इनके शरीर में 85% पानी होता है लेकिन चरम स्थिति में यह घटकर 3% तक कर लेते हैं और इस स्थिति में 120 साल तक जीवित रहने का प्रमाण है।
टार्डीग्रेड उन परिस्थियों और विशाल तबाहियो में भी जिंदा रह सकते है जो की पृथ्वी पर रहने वाले दुसरे प्राणियों जीव जंतुओ के लिए घातक है. उदाहरण के लिए क्षुद्र ग्रह, सुपरनोवा यानि तारो के रूप में विस्फोट, गामा किरण विस्फोट आदि. इस रिसर्च से मंगल और अन्य ग्रहों जहाँ मानव जीवन संभव हो की संभावना को बल मिलेगा।
ये जीव बना खाये पीये भी कई हजार सालों तक जिंदा बना रह सकता है, बस इसे किसी भी तरह तरल वातावरण मिलता रहे। इनकी इस गजब की प्रतिभा ने वैज्ञानिकों का ध्यान इनकी तरह खींचा है। निकट भविष्य में वैज्ञानिक टार्डीग्रेड्स की बनाबट और उसकी प्रणाली तंत्र को अध्ययन करके बहुत कुछ बना पायेंगे।
Written by Dharmendra Kumar Singh
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