क्या है कोलन कैंसर या कोलन इंफेक्शन

 


आखिर क्या है क्या है कोलन कैंसर या कोलन इंफेक्शन?

कोलन कैंसर की वजह से हॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म ब्लैक पैंथर के अभिनेता चैडविक बोसमैन का शनिवार को 43 की उम्र मे निधन हो गया ब्लैक पैंथर में सम्राट टिचाला का किरदार निभाने वाले इस शख्स ने एवेंजर सीरीज की इनफिनिटी वॉर...और एन्ड गेम जैसी कई मूवीज की शूटिंग कीमोथेरेपी और सर्ज़री के सहारे की।

वकांडा का यह सुपरहीरो कोलन कैंसर की 4th स्टेज में था। हाल ही में भारत मे इरफान खान भी कोलन इंफेक्शन से पीड़ित थे उन्हें न्यूरॉएंडोक्राइन ट्यूमर था जिसका इलाज काफी समय से चल रहा था, इसके अलावा इरफान कोलन इंफेक्शन से भी पीड़ित थे जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई। तो आखिर क्या है कोलन इंफेक्शन या कोलन कैंसर ?

आप जानते है बड़ी आंत छोटी आंत से जुड़ी होती है। छोटी आंत में भोजन का अंतिम रूप से पाचन हो जाता है। ये पाचन तीन मुख्य घटक कार्बोहाइड्रेट वसा और प्रोटीन के रूप में होता है। भोजन से सभी मुख्य पोषक तत्वो का अवशोषण होने के बाद बचा हुआ अपशिष्ट भाग बड़ी आंत में चला जाता है।

रेक्टम, कोलन का अंतिम भाग होता है जहां शरीर मल को अस्थायी रूप से रखता है जब तक कि शरीर मल का त्याग न कर दे | बड़ी आंत के तीन हिस्से होते है सीकम छोटी आंत से जुड़ा हुआ पहला भाग होता है। इसके बाद कोलन होता है और अंतिम भाग रेक्टम होता है यानी मलाशय यह बड़ी आंत का हिस्सा हैं, जो पाचन तंत्र का सबसे निचला हिस्सा होता है।

यही से आंतों के अंतिम हिस्से में मल से पानी सोखा जाता है तथा मल को स्टोर करके रखा जाता है। यही पानी जब अवशोषित होने से पहले निकल जाता है तो दस्त जैसे लक्षण दिखते है। जिससे शरीर मे पानी की कमी हो जाती है।

कोलन कैंसर जैसी यह बीमारी तब होती है जब कोलन के बाहरी हिस्से में सूजन आ जाती है. इससे बड़ी आंत संक्रमित हो जाती है. यह बीमारी लंबे समय तक ठीक न हो तो इस बीमारी से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.

कोलोन इंफेक्शन कई तरह का होता है। इसका इलाज भी तभी किया जा सकता है जब ये पता हो कि किस तरह का कोलोन इंफेक्शन हुआ है। ज्यादातर चार तरह का कोलोन अभी तक देखा गया है। पहला इस्केमिक कोलाइटिस इसमें कोलन में खून का चलना ठीक से नहीं हो पाता और यह इस्केमिक कोलाइटिस का कारण बन सकता जाता है।

दूसरा एलर्जिक कोलाइटिस बड़ों की अपेक्षा बच्चों को होने वाली बीमारी है। ये कुछ चीजों से एलर्जी के वजह से होता है। वही तीसरा बॉडी में जब लिम्फोसाइट की मात्रा बढ़ जाती है तब माइक्रोस्कोपिक कोलाइटिस हो जाता है। यह इतना सूक्ष्म स्तर का होता है कि इसे केवल माइक्रोस्कोप के द्वारा ही देखा जा सकता है ।

चौथा कुछ लोगों में सूजन-कम करने की दवाओं की वजह से कोलन में सूजन की समस्या आ जाती है। इसे ड्रग कोलाइटिस कहते हैं। यह एंटी-स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी दवाओं की वजह से ऐसा होता है। ऐसे लोग जिन्होंने लंबे समय तक ऐसी दवाओं का इस्तेमाल करते हैं उन्हें इस तरह के कोलाइटिस का खतरा रहता है।

कोलोन इंफेक्शन पेट से जुड़ी बीमारी है इसे कोलाइटिस भी कहा जाता है। यह एक इंफेक्शन है जो वायरस, बैक्टीरिया या परजीवी की वजह से फैलता है। इस इन्फेक्शन से अगर कोई पीड़ित होता है तो उसे पेट दर्द, बुखार और मोशन की प्रॉब्लम हो जाती है।

कोलन और मलाशय के अस्तर में पॉलिप्स (कैंसर से पहले होने वाले विकार)के विकास के साथ शुरू होता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर कहाँ से शुरू होते हैं। कोलन कैंसर और रेक्टल कैंसर को अक्सर एक साथ रखा जाता है क्योंकि उनमें कई विशेषताएं एक जैसी होती हैं। कोलन संक्रमण के साथ कई बीमारियां हो सकती हैं.

हालांकि, कोलन की सूजन काफी हद तक वायरल और जीवाणु संक्रमण का परिणाम है. कभी-कभी, ऑपरेशन या सर्जरी से कैंसर का उपचार कराने से भी कोलन संक्रमण का खतरा बढ़ा जाता है. कैंसर के इलाज में की जानी वाली कीमोथेरेपी से भी कोलन का संक्रमण बढ़ने का खतरा रहता है.दरअसल, कीमोथेरेपी के बाद, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कम हो जाती है.

यदि सफेद रक्त कोशिकाओं का स्तर कम हो जाता है तो व्यक्ति को संक्रमण की संभावना अधिक हो जाती है. यहां तक कि साधारण संक्रमण भी ठीक से समय पर काबू में नहीं किया गया तो बहुत जल्दी ही जान पर बन आती है. वैसे तो कोलन कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन इसके ज्यादातर मामले बुजुर्गों में आते हैं.

इस कैंसर में शुरू में आंत में कोशिकाओं के गुच्छे बनते हैं. फिर धीर-धीरे ये कैंसर का रूप ले लेते हैं. इसके इलाज के लिए सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और दवा खाने की सलाह दी जाती है.



इरफान को न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर था चलिये इसे भी जानते है। शरीर की एंडोक्राइन प्रणाली उन कोशिकाओं से बनी होती है जो हार्मोन्स पैदा करती हैं। हार्मोन्स केमिकल पदार्थ होते हैं, जो खून के माध्यम से शरीर के आतंरिक अंगों और कोशिकाओं तक पहुँचते हैं।

इन आंतरिक अंगो और कोशिकाओं पर हॉर्मोन्स का विशेष प्रभाव होता है। एक ट्यूमर तब बनता है जब स्वस्थ कोशिकाओं में कुछ बदलाव आने के कारण वह नियंत्रण से बाहर होकर इतनी बढ़ जाएँ कि एक प्रकार के आतंरिक फोड़े का रूप धारण कर ले। ट्यूमर कैंसर-रहित या कैंसर-ग्रस्त हो सकता है।

कैंसर-ग्रस्त ट्यूमर घातक होते हैं। इसका मतलब होता है कि, गर समय पर ढूंढकर इनका इलाज ना किया जाए तो ये शरीर के अन्य हिस्सो में भी फैल सकते हैं। कैंसर-रहित या साधारण ट्यूमर का मतलब होता है कि ये खुद बढ़ सकते हैं, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों में फैलते नहीं हैं।

कैंसर-रहित ट्यूमर को बिना अधिक नुकसान के निकाला जा सकता है। एंडोक्राइन ट्यूमर शरीर के उन हिस्सों में शुरू होता है जो हार्मोन बनाते और रिलीज करते हैं। क्योंकि एंडोक्राइन ट्यूमर उस कोशिका में पैदा होता है जो हार्मोन का उत्पादन करती है, इसलिए यह ट्यूमर भी हार्मोन का उत्पादन कर सकता है। इससे गंभीर बीमारी हो सकती है।

न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर शरीर की न्यूरोएंडोक्राइन प्रणाली की हार्मोन बनाने वाली कोशिकाओं में शुरू होता है। न्यूरोएंडोक्राइन प्रणाली हार्मोन बनाने वाली कोशिकाओं और तंत्रिका कोशिकाओं का संयोजन होती है। न्यूरोएंडोक्राइन कोशिकाएं पूरे शरीर में पाई जाती हैं, जैसे फेफड़े और जठरांत्र पथ (इसमें पेट और आंत शामिल हैं)।

न्यूरोएंडोक्राइन कोशिकाएं विशिष्ट कार्य करती हैं, जैसे फेफड़ों के अंदर खून और हवा के प्रवाह को विनियमित करना और यह नियंत्रित करना कि भोजन कितनी गति से जठरांत्र पथ से गुजरता है।

अन्ततः आजकल की भगदौड़ वाली जिंदगी के वजह से युवाकार्पोरेट कर्मचारियों और प्रोफेशनल्स में खराब जीवनशैली तेजी से घर करती जा रही है। पाश्चात्य भोजनशैली में फायबर की मात्रा कम होती है तथा फैट और कैलोरीज भी अधिक मात्रा में होती है।

इस तरह के केस में उन लोगों का जोखिम दो गुना बढ़ जाता है जो रेड और प्रोसेस्ड मीट खाते हैं। जो लोग रेशे रहित तथा अधिक फैट वाला भोजन लंबे समय तक लगातार करते रहते हैं उनमें कोलन कैंसर होने की आशंका सबसे अधिक होती है।

खराब जीवनशैली मोटापा और डायबिटीज न केवल गुदा का कैंसर होने की आशंका बढ़ा देते हैं बल्कि दूसरी बीमारियों को भी न्यौता देते हैं।अगर कुछ रह गया तो आप कॉमेंट में पूछ सकते है। मैं कोई प्रोफेशनल तो नही लेकिन जितना मैने पढ़ा है...कोशिश तो कर सकता हूँ ।

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