ब्रह्मण्ड की सरंचना और मूलभूत कण


यह ब्रह्मण्ड किससे निर्मित है?

हम अपने आसपास भी वस्तुएँ, पदार्थ देखते है, वे किस मूलभूत तत्व से निर्मित है? हम जानते है प्रत्येक पदार्थ अणुओं से मिलकर और प्रत्येक अणु मूलभूत कण से मिलकर बना होता है जिसे परमाणु कहा जाता है और उसे मनमाने ढंग से सूक्ष्म से सूक्ष्मतम रूप मे तोड़ा नही जा सकता है, यह सिद्धांत पिछले सहस्त्र वर्षो से सर्वमान्य है।

परमाणु के सिद्धांत का संदर्भ प्राचीन भारत और ग्रीस मे मिलता है। भारत मे आजीविक, जैन और चार्वाक मान्यताओ मे परमाणु के सिद्धांत का संदर्भ ईसा पूर्व छठी शताब्दी का है। पश्चिम मे परमाणु के सिद्धांत का संदर्भ ईसा पूर्व पांचवी शताब्दि मे लेउसीप्पस के शिष्य डेमोक्रीट्स के विचारो मे मिलता है।

डेमोक्रिट्स ने ही परमाणु का वर्तमान अंग्रेजी नाम “Atom” दिया था जिसका अर्थ है अविभाज्य। डेमोक्रिट्स के अनुसार पदार्थ विभिन्न प्रकार के परमाणुओं के बड़ी मात्रा मे एक साथ जमा होने से बनता है। परमाणु का अर्थ है परम अणु अर्थात ऐसा कण जो अविभाज्य हो। उसी तरह एटम शब्द बना है एटामान(atomon) से जिसका अर्थ है अविभाज्य! लेकिन हम जिसे परमाणु या एटम कहते है वह अविभाज्य नही है।

1803 में जे जे थॉमसन ने परमाणु के अंदर इलेक्ट्रान के अस्तित्व को प्रमाणित कर दिया जो कि परमाणु से भी हजार गुणा छोटा था। 1911 मे अर्नेसट रदरफोर्ड ने प्रमाणित किया कि परमाणु मे आंतरिक संरचना होती है, उनके अनुसार परमाणु मे धनात्मक आवेश वाले प्रोटोन के नन्हे केन्द्र के आसपास इलेक्ट्रान परिक्रमा करते है। सर्वप्रथम यह माना गया कि परमाणु इलेक्ट्रान और धनात्मक आवेश वाले प्रोटान से बना होता है।

1932 मे जेम्स चैडवीक ने परमाणु के केन्द्र मे एक और कण न्यूट्रॉन को खोज निकाला जिस पर कोई आवेश नही होता है। इस तरह से वैज्ञानिकों ने ज्ञात किया कि परमाणु भी मूल कण नही है। इलेक्ट्रान न्यूट्रॉन और प्रोटोन है। परमाणु केन्द्र छोटे, ठोस और घने थे, इसलिये वैज्ञानिको ने सोचा की केन्द्र मूलभूत होना चाहिये। लेकिन बाद की खोजो से पता चला की परमाणु धनात्मक आवेश वाले प्रोटान (p+) तथा उदासीन न्युट्रान(n) से बना है। तो क्या प्रोटोन और न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रान मूलभूत कण है?

अगले 30 वर्षो तक न्यूट्रॉन और प्रोटान और इलेक्ट्रान को मूलभूत कण माना जाता रहा। लेकिन कुछ प्रयोगो ने जिसमे प्रोटान को अन्य प्रोटान या इलेक्ट्रान से अत्याधिक गति से से टकराया जाता था यह सिद्ध किया कि प्रोटान और न्यूट्रॉन और भी छोटे कणो से बने है।

इन कणो को मुर्रे गेलमन ने क्वार्क नाम दिया। भौतिकशास्त्रीयों ने पाया कि प्रोटान और न्युट्रान और भी छोटे कणों ’क्वार्क’ से बने है। क्वार्क के छः प्रकार है जिन्हे अप, डाउन,स्ट्रेन्ज, चार्मड, बाटम और टाप नाम दिया गया है। पहले तीन प्रकार की खोज 1960 मे हो गयी थी, चार्मड 1974 मे, बाटम 1977 मे तथा टाप 1995 मे खोजा गया है। इलेक्ट्रान केन्द्र के चारो ओर गतिशील रहते है, प्रोटान और न्युट्रान केन्द्र के अंदर हिलते डुलते रहते हैं, वही क्वार्क प्रोटान और न्युट्रान के अंदर हिलते डुलते रहते है।

एक प्रोटान या न्युट्रान तीन अलग अलग क्वार्क से बना होता है। प्रोटान मे दो अप क्वार्क और एक डाउन क्वार्क होता है। न्युट्रान मे दो डाउन और एक अप क्वार्क होता है। हम अन्य क्वार्क (स्ट्रेन्ज, चार्मड,बाटम और टाप) से भी कण बना सकते है लेकिन इनका द्रव्यमान ज्यादा होने से ये अस्थायी होंगे।

दूसरी तरह के पदार्थ कणों को लेप्टान कहा जाता है। लेप्टान छः तरह के होते है जिनमे से तीन का विद्युत आवेश होता है बाकि तीन मे नही। ये बिंदु के जैसे लगते है जिनकी कोई आंतरिक संरचना नही होती है। सबसे प्रमुख लेप्टान (e–) है, जिसे हम इलेक्ट्रान कहते है।

अन्य दो आवेशित लेप्टान म्युआन(μ) और टाउ(τ) है जो कि इलेक्ट्रान के जैसे आवेशित है लेकिन इनका द्रव्यमान बहुत अधिक होता है। अन्य तीन लेप्टान तीन तरह के न्यूट्रिनो(ν) है। इनमे कोई आवेश नही होता है, बहुत कम द्रव्यमान होता है और इन्हे खोजना कठिन होता है।

अब हम जानते है कि न परमाणु, न प्रोटान और न न्यूट्रॉन अविभाज्य है। आकाशगंगा से लेकर ग्रह से लेकर परमाणु तक सब कुछ क्वार्क और लेप्टान से बना है। लेकिन यह पूरी कहानी नही है। क्वार्क का व्यवहार लेप्टान से भिन्न होता है।

हर पदार्थ कण का एक प्रतिपदार्थ कण(antimatter particle) होता है।अभी तक हमने जितने भी पदार्थ कण खोजे है, उन सभी पदार्थ कणो का एक प्रतिपदार्थ कण या प्रति कण मौजूद है। प्रति कण अपने संबधित कण के जैसे ही दिखते और व्यवहार करते है लेकिन उनका आवेश विपरीत होता है। उदाहरण के लिए प्रोटान का धनात्मक आवेश होता है लेकिन प्रतिप्रोटान का आवेश ऋणात्मक होता है।

गुरुत्वाकर्षण आवेश से प्रभावित नही होता है लेकिन द्रव्यमान से प्रभावित होता है इसलिये पदार्थ और प्रतिपदार्थ दोनो पर गुरुत्वाकर्षण का समान व्यवहार होता है। पदार्थ कण का द्रव्यमान प्रतिपदार्थ कण के समान ही होता है। जब पदार्थ कण प्रति-पदार्थ कण से टकराता है, दोनो नष्ट होकर ऊर्जा मे बदल जाते है।


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